Fixed Deposit: आज के युग में जब निवेश के अनेक विकल्प उपलब्ध हैं, फिर भी फिक्स्ड डिपॉजिट भारतीय निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है। इसकी मुख्य वजह यह है कि इसमें गारंटीड रिटर्न मिलता है और निवेशकों को अपने पैसे की सुरक्षा का पूरा भरोसा रहता है। अधिकांश लोग मानते हैं कि एफडी में निवेश करना सबसे सुरक्षित और जोखिम रहित तरीका है।
हालांकि, यह सच है कि फिक्स्ड डिपॉजिट एक स्थिर आय का साधन है और इसमें शेयर बाजार की तरह उतार-चढ़ाव नहीं होता। लेकिन क्या वास्तव में यह इतना सुरक्षित है जितना दिखता है? बैंक अक्सर एफडी के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में ग्राहकों को पूरी जानकारी नहीं देते, जिससे निवेशकों को बाद में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
बीमा कवरेज की सीमित सुरक्षाफिक्स्ड डिपॉजिट की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि यह पूरी तरह से असीमित सुरक्षा प्रदान नहीं करता। यदि कोई बैंक दिवालिया हो जाए या डिफॉल्टर घोषित हो जाए, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन केवल 5 लाख रुपये तक की राशि का ही बीमा करता है। इसका अर्थ यह है कि यदि आपका निवेश 5 लाख रुपये से अधिक है, तो अतिरिक्त राशि खोने का जोखिम बना रहता है।
यह 5 लाख रुपये की बीमा राशि केवल एफडी तक सीमित नहीं है, बल्कि उस बैंक में आपके नाम से जमा सभी खातों की संयुक्त राशि को कवर करती है। इसमें आपका बचत खाता, चालू खाता, आवर्ती जमा खाता और फिक्स्ड डिपॉजिट सभी शामिल हैं। यदि सभी खातों को मिलाकर आपकी कुल राशि 5 लाख रुपये से अधिक है, तो अतिरिक्त राशि की वसूली में कठिनाई हो सकती है।
कर देयता की चुनौती
फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से कर योग्य आय माना जाता है। इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय आपको एफडी पर मिले ब्याज को अपनी आय में शामिल करना होता है और उस पर निर्धारित दर से टैक्स चुकाना पड़ता है। यह बात कई निवेशकों को पता नहीं होती और वे ब्याज की पूरी राशि को अपना लाभ समझ लेते हैं।
वर्तमान में यदि आपकी एफडी से सालाना 40,000 रुपये से अधिक का ब्याज मिलता है, तो बैंक स्रोत पर ही टैक्स की कटौती करता है। इसके अलावा, यदि आपका टैक्स स्लैब अधिक है, तो आपको अतिरिक्त टैक्स का भुगतान भी करना पड़ सकता है। इससे आपका वास्तविक रिटर्न काफी कम हो जाता है, जिसकी जानकारी बैंक स्पष्ट रूप से नहीं देते।
ब्याज दरों में बदलाव का नुकसान
फिक्स्ड डिपॉजिट में ब्याज दर निवेश के समय ही निर्धारित हो जाती है और पूरी अवधि के लिए वही दर लागू रहती है। यह सुविधा कई बार नुकसान का कारण भी बन सकती है, खासकर जब बाजार में ब्याज दरें बढ़ जाती हैं। यदि आपने लंबी अवधि के लिए कम ब्याज दर पर एफडी करवाई है और बाद में दरें बढ़ जाती हैं, तो आपको उस बढ़ी हुई दर का लाभ नहीं मिलेगा।
उदाहरण के लिए, यदि आपने 6 प्रतिशत की दर से 5 साल के लिए एफडी करवाई है और दो साल बाद बाजार में दर 8 प्रतिशत हो जाती है, तो आपको अभी भी 6 प्रतिशत ही मिलेगा। इससे आपका अवसर लागत का नुकसान होता है और आप बेहतर रिटर्न से वंचित रह जाते हैं। यह स्थिति मुद्रास्फीति के समय में और भी गंभीर हो जाती है।
समय से पहले निकालने की पेनाल्टी
फिक्स्ड डिपॉजिट में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एक निश्चित अवधि के लिए लॉक-इन होती है। यदि आपको अचानक पैसे की जरूरत पड़ जाए और आप मैच्योरिटी से पहले एफडी तोड़ना चाहें, तो आपको पेनाल्टी का सामना करना पड़ सकता है। यह पेनाल्टी आमतौर पर 0.5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत तक हो सकती है, जो अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग होती है।
इसके अलावा, समय से पहले निकालने पर आपको कम ब्याज दर भी मिल सकती है। उदाहरण के लिए, यदि आपने 5 साल के लिए 7 प्रतिशत की दर से एफडी करवाई है और 2 साल बाद तोड़ते हैं, तो आपको 2 साल की एफडी की दर से ब्याज मिलेगा, जो शायद 6 प्रतिशत हो। इससे आपका नुकसान दोगुना हो जाता है।
मुद्रास्फीति का प्रभाव
फिक्स्ड डिपॉजिट में एक और छुपा हुआ जोखिम मुद्रास्फीति का प्रभाव है। यदि एफडी पर मिलने वाला ब्याज दर मुद्रास्फीति दर से कम है, तो वास्तविक रूप से आपका पैसा घट रहा होता है। उदाहरण के लिए, यदि आपको एफडी पर 6 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है लेकिन मुद्रास्फीति दर 7 प्रतिशत है, तो आपकी वास्तविक आय नकारात्मक हो जाती है।
इसके अलावा, मुद्रास्फीति के कारण आपकी क्रय शक्ति भी कम हो जाती है। जो सामान आज 100 रुपये में मिलता है, वह 5 साल बाद 130-140 रुपये में मिलेगा। यदि आपका निवेश इस दर से नहीं बढ़ रहा, तो आप वास्तव में गरीब हो रहे हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट निश्चित रूप से एक सुरक्षित निवेश विकल्प है, लेकिन यह पूर्ण रूप से जोखिम मुक्त नहीं है। निवेशकों को इसकी सीमाओं को समझकर अपनी निवेश रणनीति बनानी चाहिए। बेहतर होगा कि आप अपने पूरे पैसे को एक ही बैंक में न रखें और विभिन्न बैंकों में वितरित करें। साथ ही, केवल एफडी पर निर्भर न रहकर अन्य निवेश विकल्पों पर भी विचार करें।