किसानों को प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान की भरपाई के लिए सरकार की ओर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत प्राकृतिक आपदा जैसी आंधी , तूफान बारिश ,ओलावृष्टि ,बाढ़ ,बेमौसम बारिश से किसान की फसल को होने वाले नुकसान का मुआवजा दिया जाता है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करने वाली कंपनियों ने अपने हाथ खींच लिए । राज्य में 7 जिले ऐसे हैं जहां फसल बीमा के लिए कोई बीमा कंपनी के लिए तैयार नहीं हो रही है।
इस समय सवाल उठता है कि इन जिलों के किसान अपनी फसलों का बीमा करवाने के लिए कहां जाए और फसल को होने वाले नुकसान की भरपाई कैसे होगी। ऐसे में किसानों को नुकसान से राहत देने वाले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को खुद संकट में फंसती जा रही है। इधर इन जिलों के किस राज्य सरकार से अपनी फसलों का बीमा करने और बारिश व ओलावृष्टि फसल को नुकसान की भरपाई करने की मांग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वर्ष 2016 में शुरू किया गया था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ,करनाल सहित 7 जिलों की किसानों का पीएम फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। यह 7 जिले हरियाणा के हिसार मेंहिसार, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, करनाल, अंबाला, सोनीपत, जींद है। जहां फसल बीमा योजना के लिए कोई बीमा कंपनी नहीं मिली है। इन जिलों में इस बार किसी भी काम बीमा कंपनी को फसल जिम्मेदारी नहीं दी गई है। इस समय किसान चिंतित है कि उनकी बर्बाद किसानों का मुआवजा कैसे मिलेगा वह कहां पर अपनी फसल नुकसान की रिपोर्ट दे ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके। बता दे कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वर्ष 2016 में शुरू किया गया था।
फसल नुकसान होने पर ₹6 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था
इस योजना के तहत पिछले साल करनाल के 79 किसानों को फसल नुकसान होने पर ₹6 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था। हाल ही में हरियाणा में बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा है। लेकिन इस बार करनाल जिले में फसल बीमा योजना का लागू नहीं किया गया है। ऐसे में जिले किसानों के आगे संकट है की वे फसल बीमा कराने कहां जाएं और कैसे उनके नुकसान की भरपाई होगी।
सरकार की लापरवाह और बदलते मौसम के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बता दे की हाल ही में करनाल जिला सहित राज्य के कई जिलों में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से किसान की फसलों का नुकसान हुआ है । एक अनुमान के मुताबिक ,बारिश और ओलावृष्टि के कारण करीब 12000 एकड़ में गेहूं और सरसों की फसल पर बात हुई है। कृषि विभाग द्वारा फसल नुकसान का उल्लंघन किया गया है जबकि प्रभावित फसल का मुआवजा पीएम फसल बीमा योजना के तहत किसानों को नहीं मिल जाएगा।
पीएम फसल बीमा योजना के तहत अब तक करनाल के किसानों को कल 84 पॉइंट 23 करोड रुपए का मुआवजा दिया गया है। पिछले साल करनाल में मौसम से हुई फसल नुकसान पर कुल 79 किसानों को ₹6 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था। लेकिन इस बार कोई कंपनी की नहीं होने से योजना लागू नहीं हो पाई है जिससे किसान चिंतित है की उनकी नुकशान का मुआवजा उन्हें कैसे मिलेगा।
फसलों का बीमा करके हर किसान को नुकसान की भरपाई करनी चाहिए
किसानों का कहना है कि अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत निजी कंपनियों के माध्यम से फसलों का बीमा किया जा रहा है। निजी कंपनी पूरे गांव को एक इकाई मानकर किसानो की फसलों की बीमा करती है। ऐसे में पूरे गांव में आपदा 70% तक फसल मुआवजा होने पर मुआवजा दिया जाता है किसान की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। लेकिन उसे फसल नुकसान नहीं की जाती जितनी होनी चाहिए। यदि सरकार चाहती है की किसानों का फसल नुकसान का सही से मुआवजा में सरकार को पूरे गांव का आकलन करने की बजाय खुद ही फसलों का बीमा करके हर किसान को नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
रबी की फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत प्रीमियम देना होता है
पीएम फसल बीमा योजना के तहत किसानों को रबी की फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत प्रीमियम देना होता है जबकि खरीफ की फसल के लिए 2% प्रीमियम जमा करना होता है। इसके अलावा यदि किसान बागवानी या वणिज्यिकी फसलों का बीमा करवाता है तो उसे 5% की दर राशि का भुगतान करना होता हैपीएम फसल बीमा योजना के तहत प्राकृतिक आपदा के पास से फसल को 33% सबसे अधिक नुकसान भारी बीमा फसल का लाभ मिलता है। इसके अलावा नुकसान की सूचना किसान को फसल नुकसान होने की 72 घंटे के दौरान देना जरूरी है। किसानों के कृषि विभाग के अधिकारियों में संबंधित बीमा कंपनी को फसल नुकसान की सूचना देना आवश्यक है।