केंद्र सरकार जल्दी ही कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत वेतन सीमा को ₹15000 से बढ़कर ₹21000 कर सकती है। इसकाअसर यह होगा की EPF और कर्मचारी पेंशन योजना में कर्मचारियों का योगदान भी बढ़ जाएगा। द इकोनामिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ,सरकार किसी नए नियम को ईपीएफओ कवरेज को व्यापक बनाकर कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा में सुधार की दिशा में कदम के रूप में देखा जा रहा है।
फिलहाल पिछले 10 सालों से वेतन सीमा 15000 रुपए आखरी बार साल 2024 में से बढ़ोतरी की गयी थी। तभी से 6500 से बढ़कर 15000 पर किया गया था। नए नियम रिटायरमेंट और पेंशन बचत के लिए कर्मचारियों और कंपनियां सरकार दोनों द्वारा योगदान राशि में बदलाव होगा।
आपके वेतन पर क्या होगा असर
सरकार द्वारा वेतन सीमा बढ़ाने से कर्मचारियों का फायदा और नुकसान दोनों होगा। सोलोमन एंड कंपनी की पार्टनर किंजल चंपानेरिया कहती हैं, अगर फायदे की बात है तो सैलेरी लिमिट बढ़ाने से कर्मचारी पेंशन योजना में योगदान बढ़ेगा दूसरे रिटायरमेंट पर ज्यादा पेंशन मिलेगी इसके अलावा epfo में भी योगदान बढ़ेगा जिसे रिटायरमेंट फंड में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा epfo में ज्यादा योगदान करने से कर्मचारी ज्यादा वित्तीय सुरक्षा महसूस करेगी।
क्या होगा नुकसान
इपीएफ एक्ट की धारा 6 के तहत epf कर्मचारियों का योगदान बेसिक सैलरी का 12 फीसदी तय किया गया है ऐसे में सैलेरी लिमिट बढ़ाने से कर्मचारियों को ज्यादा सैलरी कट का सामना करना पड़ेगा जिससे उनकी इन हैंड सैलेरी कम हो जाएगी जिसका असर यह होगा की सैलेरी लिमिट के करीब कमाने वाले करीब कमाने वाले कर्मचारियों पर दबावपड़ सकता है।
EPF लिमिट 15,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये होगी
अगर आप अभी 35 साल के हैं और 58 साल की उम्र में रिटायर होने की प्लानिंग कर रहे हैं और मासिक सैलरी 23000 रुपये प्रति महीना है, तो रिटायरमेंट के बाद आपको कितनी पेंशन मिलेगी?
नौकरी की अवधि: 23 साल (आयु 35 से 58 वर्ष), पेंशन योग्य वेतन : 21000 (यदि सीमा बढ़ती है)
ईपीएस के तहत पेंशन राशि की गणना इस प्रकार की जाती है :
पेंशन = (सेवा के वर्ष x पेंशन योग्य वेतन) / 70
यानी, बढ़ी हुई सीमा के साथ 58 वर्ष की आयु में अनुमानित मासिक पेंशन लगभग 6,900 रुपये होगी। जबकि, Employee Pension Scheme की मौजूदा सीमा के तहत पेंशन लगभग 4,929 रुपये प्रति माह होगी।