आलू के चिप्स खाने से नहीं होगा कोई नुकशान ,वैज्ञानिको ने खोज लिया इसका तोड़

Saroj kanwar
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दुनिया में फटाफट खा जाने वाले चीजों में बहुत उद्योग बहुत बड़ा है इससे आप स्नेक उधोग कह सकते है। अकेले अमेरिका में यह मल्टी बिलियन डॉलर का बाजार है इसमें सबसे बड़ी हिस्सा चिप्स का है , लेकिन इस उद्योग में चुनौतियां कम नहीं है आलू की लगातार आपूर्ति न हो पाना एक बहुत बड़ी समस्या है। इस कोल्ड स्टोरेज स्टोरेज भी सही तरह से हल नहीं कर पा रहे है। अब अमेरिका के दो वैज्ञानिकों ने सेहतमंद चिप्स और फ्राइज बनाने की विधि विकसित की है जिससे इनसे होने वाले कैंसर की संभावना खत्म हो जाएगी।

यह ऐसा कैंसरकारक पदार्थ है जो उच्च तापमान में पकने से बनता है

मिशीगल स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोपेयर जिमिंग जियांग और डेविड डोचेस ने आलू उद्योग के लिए क्रांतिकारी बदलाव लाने का रास्ता निकाला है। इससे कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू तलने में कैंसर होने की संभावना बहुत कम हो जाएगी। कोल्ड स्टोरेज में स्टार्च तापमान शुगर में बदल जाता है ये प्रक्रिया कॉल्ड इंज्यूज्ड स्वीटनिंग या सीआईएस कहलाती है।

इससे ऐसे आलू से बनने वाले चिप्स काले बनते हैं और उसमें एक्रिलामाइड ज्यादा होता है। यह ऐसा कैंसरकारक पदार्थ है जो उच्च तापमान में पकने से बनता है और इस कैंसर का भी जोखिम होता है। वैसे तो कोल्ड स्टोरेज में आलू में स्टार्च कम करने के तरीके हैं लेकिन काफी महंगी भी है। और इसे चिप्स का स्वाद भी बदल जाता है।

दुष्प्रभाव की पूरी संभावना ही खत्म हो जाएगी

शोधकर्ताओं के विकास तरह की जींस की पहचान की है जो सीआईएस प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार थी। ठंडी हालत में एक तरह से नियंत्रक का काम करते है । इस खोज से आलू की ऐसी किस्म विकसित की जा सकेगी जिससे कैंसर कारक ही पदार्थ नहीं बनेंगे। शोधकर्ताओं ने जीन अभिव्यक्ति विश्लेषण ,प्रोटीन पहचान और खास मेकिंग में सीआईएसएफ जीन के नियंत्रक तत्वों को पहचानने का तरीका निकाला जिससे उसका दुष्प्रभाव की पूरी संभावना ही खत्म हो जाएगी।

सीआईएस प्रतिरोधीप्रतिरोधी आलू व्यावसायिक रूप से मार्केट में मिलेंगे

इससे इन जींस को खत्म करने से ऐसे आलू बनेंगे जिनमे जहरीले पदार्थ बनने की संभावना ही खत्म हो जाएगी। इससे भी अच्छी बात है कि शोधकर्ताओं की यह रिसर्च कई स्टार्च वाले भोजन में सीआईएस बनने की प्रक्रिया को रोकने में मदद अधिकार होगी। इसमें आलू की भंडारण वितरण में काफी सुधार होने की संभावना खत्म जाएगी और न केवल खाना खराब होने से बचेगा बल्कि लागत भी कम होगी। शोधकर्ताओं का उम्मीद है कि निकट भविष्य में सीआईएस प्रतिरोधीप्रतिरोधी आलू व्यावसायिक रूप से मार्केट में मिलेंगे।

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