क्या आप जानते है बिजली बोर्ड में लगा मोबाईल चार्जर करता है करता है आपके बिजली बिल में बढ़ोतरी , सुनकर शायद न आये यकीन

Saroj kanwar
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आज कल हम दिन भर स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं और इसे बार-बार चार्ज करने की जरूरत पड़ेगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका मोबाइल चार्ज में कितने बजली खर्च करता है। इसकी बिजली खपत पावर रेटिंग और उपयोग के समय पर निर्भर करती है।

मोबाईल चार्जर की पावेर रेटिंग क्या है

चार्जर की पावर रेटिंग विभिन्न प्रकार की होती है। आमतौर पर 5 वॉट (5V, 1A), 10 वॉट (5V, 2A), फास्ट चार्जर 20 वॉट या उससे अधिक के होते हैं। है पावर वाले चार्जर तेज चार्जिंग प्रदान करते है। लेकिन बिजली की खपत भी अधिक होती है। कई लोग चार्जर को 24 घंटे प्लग में लगाए रहते है। हालांकि आधुनिक चार्जर से सेफ्टी फीचर्स होते जो ओवरलोडिंग को रोकते हैं। लेकिन फिर भी लंबे समय तक चार्ज को प्लग में रखना बिजली की थोड़ी मात्रा खर्च करता है।

यदि आपका चार्जर 80 वॉट और इसे 1 घंटे तक उपयोग किया जाता है तो 0.08 यूनिट बिजली खर्च करेगा। इसका मतलब यह है कि एक यूनिट बिजली खर्च करने में से लगभग 25 घंटे लगेंगे।

चार्ज स्टैंड बाय पावर कितना खर्च करता है

यदि चार्जर प्लग में लगा है लेकिन फोन कनेक्ट नहीं किया गया है तो यह भी कुछ मात्रा में बिजली की खपत कर सकते हैं । हालांकि खपत बहुत कम होती है।आमतौर पर 0.2W से 0.5W के बीच। यह एक महीने में 0.15 यूनिट तक हो सकता है।

रोजाना चार्जिंग से महीने में कितना बिजली बिल बढ़ेगा?

अगर आप रोजाना 2 घंटे तक 80 वाट का चार्जर का उपयोग करते तो प्रतिदिन 0.16 यूनिट और महीने में लगभग 4.8 यूनिट बिजली खर्च करेगा। अगर आपके क्षेत्र में बिजली की दर 8 पर प्रति यूनिट है तो चार्जिंग पर ₹38 से 40 रुपए तक का खर्च आएगा ।

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