वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दिवाली मनाई जाती है। देव दिवाली के दिन श्रद्धालु धार्मिक स्थलों पर जाकर माथा टेकते हैं। साथ ही पवित्र नदियों में स्नान भी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देव दिवाली में दिन स्नान करने से सारी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है तो आज खबर में हम जानेंगे देव दिवाली कब है और इसका धार्मिक महत्व क्या है।
दृक पंचांग के अनुसार ,प्रत्येक साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को देव दिवाली मनाई जाती है। इस बार कार्तिक महीने पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को सुबह 6:19 से हो रही है। है और समाप्ति अगले दिन यानी 16 नवंबर की रात 2 बजकर 58 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार, देव दिवाली 15 नवंबर को मनाई जाएगी। उदया तिथि के अनुसार देव दिवाली 15 नवंबर को मनाई जाएगी।
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का कार्तिक माह में पड़ता है। कार्तिक माह में हिंदू धर्म की कई सारे बड़े त्यौहार आते हैं। इन्हीं में देव दिवाली का महत्व हिंदू धर्म बहुत ही बढ़ जाता है। क्योंकि इस दिन से शादी विवाह की शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं। देव दिवाली के दिन कई जगह पर तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है जिसमें तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से होता है।
शालिग्राम भगवान श्री विष्णु का अवतार माने जाते है इस दिन भगवानशाली ग्राम और तुलसी माता विवाह करने से व्यक्ति के सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही मन की सारी परेशानी से मुक्ति मिलती है। पंचांग के अनुसार, 15 नवंबर से शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे।
यहां जाने क्यों मनाते है देव दीवाली
पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देव दिवाली यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं। साथ ही गंगा घाट पर दिवाली मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन यानी देव दिवाली के दिन पूजा-पाठ करने से सारे भगवान प्रसन्न होते हैं। साथ ही अपना आशीर्वाद भी देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी-देवता स्वर्ग से स्नान के लिए आते हैं।