यह कहते हैं जो आप बोयेंगे आप वही काटेंगे। चीन पर आरोप लगाते हैं कि वह अपने अंतरिक्ष मलबे को सही निपटारा नहीं करता। इस वजह से स्पेस में सैटेलाइट रूपी कचरा बढ़ता जा रहा है । ब खबर है यह कि ऐसे एक कथित कचरे ने चीन में को मुसीबत में डाल दिया । चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार ,उसके तियांगोंग स्पेस स्टेशन पर स्पेस मलबे के अटैक की वजह से आंशिक रूप से पावर सप्लाई पर असर हुआ।
अंतरिक्ष कचरे के असर से स्पेस स्टेशन के को कोर मॉड्यूल ‘तियान्हे’ को बिजली की झेलनी कमी पड़ी थी
या घटना 1 मार्च की बताई जा रही है यह जब शेनझोउ 17 मिशन के अंतरिक्ष यात्री स्पेसवॉक कर रहे थे । तियांगोंग स्पेस स्टेशन को चीन की स्पेस एजेंसी CMSA ऑपरेट करती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ,चीनी अंतरिक्ष यात्री स्पेसवॉक कर रहे थे। तभी स्टेशन स्पेस स्टेशन के आउट पोस्ट पर अंतरिक्ष मलबे की टक्कर भी इस कारण बिजली सप्लाई संबंधी दिक्कत आ गई।CMSA कॉन्फ्रेंस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि स्पेसवॉक के दौरान हुई इस गड़बड़ी के बावजूद स्पेसवॉक सफल रही। एजेंसी का कहना है कि भविष्य वे अपनी स्पेस स्टेशन को अंतरिक्ष कचरे से बचने के लिए तत्पर रहेगी । चीनी स्पेस एजेंसी की डिप्टी डायरेक्टर ने कहा ,की सोर विंग की बिजली केबलों पर अंतरिक्ष कचरे के असर से स्पेस स्टेशन के को कोर मॉड्यूल ‘तियान्हे’ को बिजली की झेलनी कमी पड़ी थी।
वह किसी सैटेलाइट कचरा हो सकता है
हालांकि चीन ने कंफर्म नहीं किया है कि हमारे पास कोईमाइक्रो-मीटरॉयड था या फिर किसी सैटेलाइट का कचरा। लेकिन ज्यादा संभावना इसी बात की है कि वह किसी सैटेलाइट कचरा हो सकता है। ऐसे कचरे को आने वाले वक्त में स्पेस कंपनियों की सबसे बड़ी चैलेंज के तौर पर देखा जा रहा है।
सबसे ज्यादा सैटेलाइट लो-अर्थ ऑर्बिट में ही मौजूद हैं
खुद चीन अपनी तमाम मिशनों की लाइफ पूरी होने के बाद उन्हें उनके हाल पर छोड़ देता है। जबकि ऐसे सैटेलाइट का सही से निपटारा किया जाना चाहिए। हाल के वर्षों में स्पेस मिशन लॉन्च की संख्या बढ़ी है जो भविष्य में स्पेस का दायरा बढ़ाती जाएगी। सबसे ज्यादा चुनौती लो अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्वी की निचली कक्षा में आएगी। सबसे ज्यादा सैटेलाइट लो-अर्थ ऑर्बिट में ही मौजूद हैं।