झारखंड में साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले चम्पाई सोरेन काफी समय से सुर्खियों में बने हुए है। ‘कॉल्हन टाइगर’ के नाम से मशहूर चम्पाई सोरेन लंबे समय से झारखंड की राजनीति में प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। चंपारण आदिवासी अधिकारों के प्रति अपने समर्पण और अपने राज्य आंदोलन में अपनी प्रभावशाली भूमिका के लिए जाने जाते है। चम्पाई सोरेन के झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल होने का फैसला झारखंड की राजनीति का अहम मोड़ लेकर आया है। चम्पाई के इस कदम से JMM को झटका लगा। वहीं भाजपा हेमंत सोरेन कीनेतृत्व वाली सरकार के साथ बढ़ते असंतोष का फायदा उठाने को पूरी तरह से तैयार है।
वरिष्ठ नेताओं की चिंताओं को दूर करने और पार्टी की एकता बनाए रखने में विफलता को उजागर करता है
28 अगस्त 2024 को सरायकेला निर्वाचन क्षेत्र से सात बार विधायक चम्पाई सोरेन ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पार्टी की और नेतृत्व से अपनी निराशा को जग जाहिर करते हुए जेएमएम से इस्तीफा दे दिया । महीनो की आंतरिक कलह के बाद JMM नेतृत्व की अपने वरिष्ठ नेताओं की चिंताओं को दूर करने और पार्टी की एकता बनाए रखने में विफलता को उजागर करता है।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद चम्पाई ने इस्तीफा दे दिया है जिस तरह चम्पाई को दरकिनार किया गया वह झामुमो
के आंतरिकलोकतंत्र पर खराब प्रभाव डालता है और और आदिवासी नेतृत्व के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल उठाता है।
इस कुप्रबंधन की व्यापक आलोचना हुयी है जिससे कई लोगों ने jmm पर भाई भतीजावाद का आरोप लगाया हैउन नेताओं को कमतर आंकने का आरोप लगाया है जो आदिवासी समुदायों के बीच पार्टी के समर्थन की रीढ़ रहे हैं।मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन का कार्यकाल विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों से भरा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना उसके अप्रभावी शासन, वादों को पूरा करने में विफलता और आदिवासी आबादी के हितों को बनाए रखने में असमर्थता के लिए की गई है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें खुद चम्पाई सोरेन ने अपने इस्तीफे के कारणों में बताया था।
चम्पाई सोरेन का bjp में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ी सफलता है
चम्पाई सोरेन का bjp में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ी सफलता है क्योंकि वह झारखंड में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती है। आदिवासी अधिकारों की कट्टर समर्थक के रूप में चम्पाई सोरेन की प्रतिष्ठा के साथ ,भाजपा के पास अभी सहयोगी है जो पार्टी को कोल्हान और दक्षिण छोटा नागपुर जैसे प्रमुख क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं से जुड़ने में मदद कर सकता है । जहा पारम्परिक रूप से jmm का दबदबा रहा है।
चम्पाई के इस कदम से झारखंड के चुनावी गतिशीलता में बदलाव आने की उम्मीद है। कोलन क्षेत्र में unke gahare संबंध और आदिवासी समुदायों के बीच उनके प्रभाव ने व्यापक भाजपा के लिए अहम बनाता है। चम्पाई के साथ मिलकर बीजेपी jmm उनके पारंपरिक वोट बैंक में पैठ बनाने के लिए तैयार है जिसे आदिवासी वोटर टूट सकते हैं। इसके अलावा बांग्लादेशी घुसपैठ के खतरे प्रमुख कई मुद्दों पर भाजपा के रुख का चम्पाई सोरेन द्वारा समर्थन भाजपा के अभियान में एक नया आयाम जोड़ता है। चेमापी सोरेन ने सार्वजनिक रूप से कहा कि ,बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण आदिवासी का अस्तित्व खतरे में है। भाजपा के नेता भी बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा काफी वक्त से उठा रहे हैं।