मान हो, अपमान हो या की जय जयकार हो: ना खुद से खा सकते है ना खुद से हिल सकते है लेकिन पीएम मोदी के लिए लिख दी ये कविता

Saroj kanwar
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शरीर एकदम निर्बल पड़ा है बिस्तर पर लेकिन। मन दुर्बल नहीं हुआ। कविता की पंक्तियों के जरिए आवाज ऐसी उभरती है की कोई उसे आवाज के ललकार सुन ले तो कभी नहीं मानेगी व्यक्ति इतना बेबस है की कई सालों से इस शख्स ने कमरे के बाहर सूर्य के प्रकाश को भी अपनी खुली आंखों से नहीं नहीं आ रहा है। 10 साल से देश में क्या हुआ उसने कमरे के भीतर बिस्तर पर पड़े पड़े ही इसे महसूस किया है।

लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के लिए उसकी दीवानगी ऐसे शब्दों को कलमबद्ध करके उस कविता का रूप दे दिया।

यह पूरी कहानी यूपी के बाराबंकी के रहने वाले अभय चांदवासिया की। जिन्होंने अपनी स्वरचित कविता के एक-एक शब्द पीएम मोदी को स्वरचित कविता समर्पित की हैं। कविता की उनकी पंक्तियों में पीएम नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व उनके राष्ट्रीय के प्रयासों और उनके नेतृत्व क्षमता का वर्णन उनकी आवाज में सुनाई पड़ती है। पीएम मोदी के लिए उनके विचार मानो पन्नों पर धारा परवाह बहे हो।

अब चांदवासियो पिछले 20 वर्षों से खुद मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर नाम की लाइलाज बीमारी से पीड़ित है और वर्तमान में 50% शारीरिक आशंका के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। फिर भी बिस्तर पर पड़े इस आदमी की सोच निर्बल नहीं हुई है। उनके हौसले इतने बुलंद है कि इतने विषम परिस्थति के बावजूद वह पीएम नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व को जितना कलमबद्ध करने मेहनत नजर करते नजर आते हैं। उनकी आवाज की बुलंदी ने पीएम मोदी के व्यक्तित्व को उससे भी बड़ा बना दिया है।

\बीमारी ने भीअभय चांदवासिया के हौसले को नहीं तोड़ा है। वह पिछले 4 वर्षों से ना बैठ सकते हैं और ना ही खुद खाना खा सकते हैं और ना ही वह अपने हाथ पैर से खिला सकते हैं। बस हाथ की कुछ उंगलियों को कंप्यूटर के माउस पर चलाकर प्रधानमंत्री मोदी के लिए उन्हें ऐसे शब्द गढ़ डाले हैं। उनकी भारती का ‘सारथी’ शीर्षक कविता का जरूर दिख रहा है । जो उनकी आवाज में सुनाई पड़ रहा है वह अध्भुत और अविश्वनीय और अकल्पनीय है।

अभय चांदवासिया अपनी कविता में कहते हैं।

मान हो अपमान हो या की जय जय जयकार हो।
कर्तव्य से डिगता नहीं ,वह जीत हो या हार हो।
दे रहा संदेश सारे विश्व को बंधुत्व का
चढ़कर सनातन का शिखर , परिचय दिया हिंदुत्व का।
स्नेह की एक बूँद पर वो प्रेम की गंगा बहादे।
किंतु सम्मुख बैरियों के वो दहकती हुई अगन सा है
वह एक सुमन मधुबन सा है।
कितने मुकद्दर हैं सवार ,राह जीने की दिखाई ।
लेकिन कभी अपमान की परछाई तक है ना छु पायी।

यह कहते पीएम मोदी के लिए जो शब्द उन्होंने लिखे हैं वह तो कुछ भी नहीं। उनका व्यक्तित्व इतना बड़ा है कि उनके लिए चाहे तो 10 से 20 रचनाएं लिख सकता हूं । वह दावा करते हैं की तीसरी बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजई होंगे ,वह पीएम मोदी के लिए कहते हैं ,जो बदलते राष्ट्रीय नव चेतना का केंद्र सप्त कोटी को जिसमें भरोसा बस वही नरेंद्र है।

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