मशहूर तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलाने की काफी विवाद हो रहा है। अब इस मामले के बाद राजस्थान में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश के मंदिरों की प्रसाद की जांच करने का विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि इससे 26 दिसंबर तक मंदिर में सामने और नियमित रूप से दिए जाने वाले प्रसाद के नमूने न्हें लिए जाएंगे।
वेंडर्स और खाने पीने की चीजे सर्टिफिकेशन दिया जाता है
खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने ने इट राइट इनिशिएटिव प्रोग्राम के तहत भोग के लिए सर्टिफिकेशन स्कीम शुरू की। इस स्कीम के तहत धार्मिक स्थल प्रसाद बेचने वाले वेंडर्स और खाने पीने की चीजे सर्टिफिकेशन दिया जाता है। यह प्रमाण पत्र खाद्य सुरक्षा के मानकों एवं हाइजीन सैनिटाइजेशन की पालना करने वाले मंदिर धार्मिक स्थान को प्रदान किया जा रहा है।
इस्तेमाल खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी
फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा बताया कि, मुख्यमंत्री की पहल पर राजस्थान में चलाई जा रही अभियान ‘शुद्ध आहार, मिलावट पर वार’ के तहत जांच की जाएगी। इनमे सबसे बड़ी मंदिर जहा हजारो रोजाना बनाया जाता है। इन मंदिरों में बनने वाले प्रसिद्ध प्रसाद के लिए इस्तेमाल खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी।
राजस्थान के 54 बड़े मंदिरों द्वारा सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया गया है
बताया जा रहा है कि राजस्थान के 54 बड़े मंदिरों द्वारा सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया गया है जिनका वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसके लिए संबंधित विभागों को जानकारी दी जा रही है। इसके लिए स्पेशल टीम बनाई जाएगी जो प्रसाद की गुणवत्ता को चेक करेगा साथ ही हाइजीन का भी निरीक्षण करेगी। बतायाजा रहा है कि राजस्थान में अब तक केवल 14 धार्मिक स्थलों मंदिरों के पास सर्टिफाइड है। इसमें जयपुर का मोती डूंगरी मंदिर पहला धार्मिक स्थल जिसे सर्टिफिकेट प्राप्त है। यह सर्टिफिकेट 6 महीने में ऑडिट के बाद ही रिन्यू किया जाता है। सर्टिफिकेट के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण प्राधिकरण की मंदिर रसोई की कमियां जरूरतों , और कार्य और मापदंड के पालन का पता लगा कर रिपोर्ट तैयार करती है।