समुन्द्र पर बनने वाला हैए एक ऐसा पुल जो मिनटों में पहुंचा देगा आपको रामेश्वरम ,ट्रेन दौड़ेगी सर्राटे से

Saroj kanwar
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सामान्य तौर पर ट्रेनों की स्पीड ब्रिज पर पहुंचने से पहले धीमी हो जाती है और इसी स्पीड पर पूरा ब्रिज पार करती है। इसके बाद दोबारा से स्पीड बढ़ती है भारतीय रेलवे देश में ऐसा ब्रिज बन रहा है जिस पर ट्रेन राजधानी की स्पीड से दौड़ सकेगी। खास बात यह है कि यह ब्रिज नदी या झील के ऊपर नहीं बल्कि समुद्र के ऊपर बन रहा है जो रामेश्वर को रेलवे मार्ग से जुड़ेगा। यह पूरा ट्रैक जून 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा यानी जुलाई से इस पर ट्रेन दौड़ने लगेगी।

रामेश्वर एक आइलैंड है इस पर जाने के लिए पहले सड़क और रेल दो मार्ग थे

रामेश्वर एक आइलैंड है इस पर जाने के लिए पहले सड़क और रेल दो मार्ग थे। समुद्र पर बना रेलवे ब्रिज 110 वर्ष के करीब पुराना हो गया था। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे दिसंबर 2022 से ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया था साथ ही नवंबर 2019 से नई ब्रिज का निर्माण शुरू कर दिया गया।

रेल विकास निगम लिमिटेड के डीजीएम आर श्रीनिवास बताते हैं कि ट्रैक मिलाकर पूरा ब्रिज 2.06 किलोमीटर लंबा है जो समुद्र पर बन रहा है । यह देश का पहला ब्रिज होगा जो वर्टिकल ऊपर की ओर उठेगा। ब्रिज बनकर तैयार है इससे उसे स्थान पर शिफ्ट करना है जहां से सिर्फ निकालने का रूट बना है यह ब्रिज 450 टन वजनी है।

एक और ट्रैक का निर्माण भी हो चुका है। दूसरी ओर से ब्रिज को मशीनों की मदद से ले जाया जाएगा। आर श्रीनिवास बताते हैं कि इस प्रक्रिया में करीब डेढ़ माह का समय लग जाएगा। इसके बाद बचे हुए ट्रैक का निर्माण किया जाएगा।

ब्रिज की क्षमता अधिकतम 80 की स्पीड होगी

वे बताते हैं कि इस पुल को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है जिससे ट्रेन 80 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सके। पुराने ब्रिज पर ट्रेन 10 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ेगी। मौजूदा समय में कुछ रूटों पर राजधानी ट्रेन के औसतन स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटे की है। इस तरह अगर कोई ट्रेन ब्रिज की अधिकतम क्षमता की स्पीड से गुजरेगी यानी राजधानी की औसत स्पीड के बराबर होगी।

वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज बगल से गुजर सी लिंक रोड़ की ऊंचाई के करीब एक 17 मीटर तक ऊपर उठेगा। इसमें केवल 5 मिनट का समय लगेगा। इस तरह नीचे आने में भी 5 मिनट लगेगा ऑटोमेटिक ब्रिज होगा जबकि पुराना पुल को मैनुअल ऑपरेट करते हैं जिसे खोलने में काफी समय लगता था जो दोनों ओर से केवल 45 डिग्री ऊपर उठता था।

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