इस बार सोमवती अमावस्या बन रहा है इतना तगड़ा संयोग जो बन रहा है 30 सालो बाद ,पूजा से मिलेगी हर पाप से मुक्ति

Saroj kanwar
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सोमवार 8 अप्रैल को चैत्र मास की अमावस्या है। सोमवार को अमावस्या होने से इसे सोमोटि मोती अमावस्या कहते हैं। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का काफी महत्व है। इस दिन व्रत , पूजन और पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है । पितृ दोष निवारण के लिए शुभ माना गया है

गरुड़ पुराण में बताया गया कि सोमवती अमावस्या की तिथि पर पितरों का तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों का दर्पण करने से पितृ दोषी मुक्ति मिलती है। ज्योतिष के मुताबिक ,उदय तिथि के कारण सोमवती अमावस्या 18 अप्रैल को मनाई जाएगी। सोमोती अमावस की तिथि पर दुर्लभ इंद्र योग बन रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में चल रही परेशानियों से से नहीं छुटकारा मिलता है। इस अमावस्या पर किए गए दान और पुण्य तीर्थ स्थान पर मिलता है।

सोमवती अमावस्या


8 अप्रैल को 3 21 बजे शुरू होगी और 8 अप्रैल को ही रात 11:50 बजे समाप्त

ज्योतिष ने बताया की कई वर्षों बाद चैत्र अमावस्या पर दुर्लभ इंद्र योग बन रहा है। इस योग में शाम तक रहेगा इसी योग में शाम 06:14 बजे तक रहेगा। पूजा पाठ और शुभ कार्य किया जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या भगवान शिव आदि शक्ति मां पार्वती संग रात 11:50 तक रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाए पर मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में बताया गया कि ,जब भगवान शिव माता पार्वती के साथ हो रुद्राभिषेक करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा जी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत लाभकारी माना गया है।

स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है

स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है। मान्यता की सोमवती अमावस्या पर विधिवत स्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है। यदि आप नदियों में स्नान करने नहीं जा सकती तो आप घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें। मान्यता यह है यह इस दिन भी विधिवत स्नान करने से है। उन्होंने बताया कि पद्मपुराण के अनुसार , पूजा ,तप , यज्ञ , पूजा आदि से भी श्री हरि को इतनी प्रसन्नता नहीं मिलती जितनी की सुबह प्रात स्नान कर जगत को प्रकाश देने वाले सूर्य भगवान देने से होती है । इसलिए पूर्व जन्म और स्नान कर जगत को प्रकाश देने वाले भगवान सूर्य को अध्र्य देने से होती है। इसलिए पूर्व जन्म और इस जन्म के सभी पापो से मुक्ति और भगवान सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को नियमित सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को अध्र्य अवश्य प्रदान करना चाहिए।

ऐसा करने से घर में सुख शांतिआती और आर्थिक स्थिति सुधरता है।

इस दिन अन्न ,जल ,फल ,चावल तिल और आंवले का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गरीबों ,साधु ,महात्मा और ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। स्नान आदि के अलावा इस दिन पितरों का तर्पण करने से परिवार में पितरों की कृपा बनी रहती है। सोमवती अमावस्या के नाम जल तिल डालकर दक्षिणी दिशा में तर्पण करें। अमावस्या का दिन पितरो को समर्पित होती है। ऐसे में इस दिन तर्पण करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और आशीर्वाद देते है। अमावस्या के दिन पीपल की वृक्ष की पूजा करें ,दूध चढ़ाएं और 7 परिक्रमा लगाए पीपल में दीपक जलाये ऐसा करने से घर में सुख शांतिआती और आर्थिक स्थिति सुधरता है।

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