महाराष्ट्र के पुणे में मावल तालुका का प्राकृतिक सौंदर्य प्रेरकों पर्यटकों को लगातार आकर्षित कर रहा है। पवना डैम उनमें से एक है। पवन डैम के नजदीक ऐतिहासिक वाघेश्वर मंदिर भी अब दर्शन के लिए खुला है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिरगर्मी के दिनों में दर्शन के लिए खुला रहता है। मानसून आने के दौरान यह मंदिर पवना डैम के पानी में डूब जाता है। पवना डैम का निर्माण साल 1965 में हुआ था।
1971 में डैम का निर्माण पूरे होने के बाद इसमें पानी का भंडारण का काम शुरू हो गया
1971 में डैम का निर्माण पूरे होने के बाद इसमें पानी का भंडारण का काम शुरू हो गया। तब से यह मंदिर ऐतिहासिक मंदिर पानी में डूबा हुआ था। पवना डैम पानी में स्थित मंदिर गर्मियों में तीन से चार महीने पानी कम होने के बाद ही दिखाई देता है। इस साल के अंत में मार्च के अंत में यह मंदिर पानी से बाहर आ गया है। कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण करीब 700 से 800 साल पहले हुआ था। मंदिर का निर्माण हेमाडपंथी शैली में हुआ है।
मंदिर का निर्माण 11वीं से 12वीं सदी तक होना चाहिए
ऐतिहासिक शोधकर्ताओं का दावा है कि मंदिर का निर्माण 11वीं से 12वीं सदी तक होना चाहिए क्योंकि मंदिर के निर्माण में पत्थर आपस में जुड़े हुए थे। इस पर कुछ शिलालेख भी मिले हैं। लेकिन साफ दिखाई नहीं होने के कारण पूरी जानकारीनहीं मिल पाती है। शीला निर्मित यह मंदिर 8 महीने तक बांध के पानी में पूरी तरह डूबा रहता है। जल तीन-चार महीने बाद ही पानी निकलता है। मंदिर का पूरा निर्माण पत्थरो से किया गया और वर्तमान में इस मंदिर पर का केवल खोल ही बचा है।
मंदिर पुराने होने के कारण इसके अधिकांश भाग जर्जर हो चुके हैं। आसपास की दीवारों के निशान भी अभी भी मौजूद है। मंदिर का शिखर नष्ट हो गया और केवल सभा भवन से सहित मंदिर के चारों ओर दरारें आ गई है। कहा जाता है किकोंकण सिंधुदुर्ग अभियान का पूरा करने के बाद छत्रपति शिवाजी जी महाराज वाघेश्वर के मंदिर का दौरा किया था। अभी इस मंदिर को देखने के लिए महाराष्ट्र से कोणे कोणे लोग लोग आ रहे हैं। इस ऐतिहासिक मंदिर का पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षण किया जाना चाहिए।