भारत सरकार ने हाल ही में 2025 तक सभी केंद्र सरकारी भवनों की छतो पर सोलरपैनल लगाने की अहम पहल की घोषणा की है। इस प्रयास के माध्यम से ऊर्जा संरक्षण में योगदान दिया जाएगा साथ ही भारत को अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगा। यह परियोजना अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और सरकारी प्रतिष्ठानों के लिए बिजली के खर्च को कम करने की सरकार की रणनीतिक पहलो का हिस्सा है।
एक करोड़ घरों में सोलर पावर सिस्टम लगाकर मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का उद्देश्य रखा गया है
विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले चार सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरणों को 2025 तक केंद्र सरकार की इमारत पर सोलर पैनल लगाने के लिए छतो का पूरा उपयोग सुनिश्चित करने का काम दिया गया है। यह पहल सूर्योदय योजना से जुड़ी है और इसे पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के नाम से भी जाना जाता है। इसकी घोषणा इस साल की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट के दौरान की थी। इस योजना के माध्यम से देश के एक करोड़ घरों में सोलर पावर सिस्टम लगाकर मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का उद्देश्य रखा गया है।
घरेलू स्तर पर कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियां जैसे कि विक्रेता की विश्वसनीयता को देखते हुए सरकार ने केंद्र सरकार के कार्यालय में सोलर पैनल लगाने को प्राथमिकता दी है। इस शहर को शुरू करने के लिए PMSY को ₹75,021 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। भारत की कुल स्थापित सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 73 गीगावाट में से अधिकांश भूमि पर स्थापित संयंत्रों से आती है। छत पर सोलर एनर्जी सिस्टम की हिस्सेदारी अभी भी कम है और इस पहल का उद्देश्य उनके योगदान को बढ़ाया जाएगा।
पहल के लाभ
यह पहल छत पर सोलर क्षमता बढ़ाकर भारत के नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव को गति देगी। यह सरकारी भवनों में बिजली की खपत को कम करेगी जिससे सरकार पर वित्तीय बोझ कम होगा। सोलर एनर्जी को ज्यादा अपनाने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी जिससे भारत के जलवायु लक्ष्यों को समर्थन मिलेगा।
चुनौतियाँ और दृष्टिकोण
यह परियोजना महत्वपूर्ण लाभ प्रस्तुत करती है जिसमे कुशल विक्रेताओं की उपलब्धता, स्थापना की उच्च प्रारंभिक लागत और समयसीमा का पालन जैसी चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं। भारत 2025 तक अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में इसे अपनाने की इसकी क्षमता का प्रमाण करेगा।