त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में प्रकट हुए थे भोलेनाथ, यहां आकर पूजा करने से कालसर्प दोष हो जाता है दूर

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सावन महीने में त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और इस मंदिर में आकर शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में आकर शिव की पूजा करने से मन चाही चीज मिल जाती है और काल सर्प दोष भी खत्म हो जाता है। त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार यहां पर शिव भगवान प्रकट हुए थे।

-त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक शहर में है। इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार यहां ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे। ऋषि गौतम बुहुत बड़े ज्ञानी हुआ करते थे। जिसकी वजह से अन्य ऋषि इन्हें पसंद नहीं करते थे। वहीं एक बार ऋषियों ने मिलकर ऋषि गौतम पर गोहत्या का आरोप लगा दिया। गोहत्या का आरोप लगने के कारण ऋषि गौतम दुखी रहने लगे। वहीं ऋषियों ने गौतम ऋषि से कहा कि आपको तभी इस पाप से मुक्ति मिल सकती है। जब आप इस जगह पर गंगा का पानी ले आएंगे।

इस पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी। एक दिन गौतम ऋषि की तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हो गए और इन्होंने गौतम ऋषि को दर्शन दिए। दर्शन देने पर गौतम ऋषि ने भोलेनाथ से कहा कि वो गंगा माता को इस स्थान पर उतारा दें। शिव जी ने गंगा माता से इस जगह पर जाने की बात कही, तो इसपर गंगा माता ने कहा कि वे तभी इस स्थान पर उतरेंगी, जब भगवान शिव यहां रहेंगे। गंगा मां की बात को मानते हुए शिवजी यहां पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करने के लिए राजी हो गए। जिसके बाद त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास से ही गंगा नदी अविरल बहने लगी। इस नदी को यहां गौतमी नदी के नाम से भी जाना जाता है।

होती है तीन शिवलिंग की पूजा

त्र्यंबकेश्वर मंदिर में तीन शिवलिंगों की पूजा की जाती है। इनको ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास तीन पर्वत भी हैं। जिन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार कहा जाता है।

भगवान शिव करते हैं भ्रमण

हिंदू मान्यता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पालात लोग चले गए थे। ऐसे में पृथ्वी की देखभाल करने की सारी जिम्मेदारी उन्होंने भगवान शिव को दे दी थी। सावन का महीना चातुर्मास का पहला महीना होता है और इस दौरान भगवान शिव पृथ्वी का भ्रमण करते हैं। सावन मास में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है और इनकी पूजा करने से हर वो चीज मिल जाती है जिसको पाने की आप कामना करते हैं।

वहीं जिन लोगों की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष और पितृदोष होता है अगर वो सावन के महीने में यहां आकर शिव की विशेष पूजा करते हैं तो ये दोष समाप्त हो जाता है। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में ये दोष है वो लोग एक बार इस मंदिर में जाकर शिव की पूजा कर लें। ऐसा करने से इन दोषों से आपको मुक्ति मिल जाएगी।

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