इस साल बारिश आयी बाढ़ से सोयाबीन ,,कपास ,दलहन ,दलहन सहित खरीफ सीजन की फसलों को भारी नुकसा हुआ है यदि बात करें गुजरात की तो यहां कपास और मूंगफली की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित के राज्य में बारिश के कारण दलहन और तिलहन फसलों को काफी नुकसान हुआ। इसे देखते हुए सरकार ने अपने स्तर पर किसानों कोराहत प्रदान कर रही है। इसी क्रम में गुजरात सर्कार किसानी की फसल को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्रीय दल तैनात किया गया। आंकड़े जुटाने के बाद यहां के किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा जारी कर राहत पहुंचाई जाएगी।
गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में पिछले सप्ताह हुई तेज बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बन गए
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में पिछले सप्ताह हुई तेज बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बन गए जिससे कपास के पौधों को नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है। वही मूंगफली की फसल पानी में डूब कर बर्बाद हो गई। इससे उत्पादन के में गिरावट होने की आशंका है।
कृषि जानकारी के अनुमान के मुताबिक ,कपास की उत्पादन पर विपरीत असर पड़ सकता है। वही मूंगफली के उत्पादन में संभावित गिरावट होने से इसकी आपूर्ति कम हो सकती है। पिछले साल कपास की कीमती एमएसपी से भी निचले स्तर पर चली गई इस कारण पंजाब से इतनी राज्य के किसान कपास की खेती छोड़कर बासमती व अन्य फसलों की खेती करने में रुचि लेने लगी है।
पिछले 3 सालों के सालाना औसत रकबे 17 पॉइंट 51 लाख हेक्टर से भीअधिक है
केंद्रीय कृषि योग किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार , खरीफ सीजन 2024 -25 में पूरे देश में कपास की बुवाई में पिछले साल की तुलना में गिरावट है। यह 20 अगस्त 2022-23 तक के आंकड़ों के मुताबिक ,देश भर में 111.7 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई की गई जबकि पिछले साल 122 पॉइंट 15 लाख हेक्टर में कपास की बुवाई हुयी थी। वही गुजरात में 2023 -24 के सीजन के दौरान 26 पॉइंट 83 लाख हेक्टर में बुवाई की गई थी ।
इस बार मूंगफली फसल बेहतर उत्पादन लगाया गया। ऐसा इसलिए इस बार देश में 46 पॉइंट 82 लाख हेक्टर में मूंगफली की खेती की गई जबकि पिछले सीजन में मूंगफली की बुवाई 43 पॉइंट 14 लाख हेक्टेयर में की गई थी। इस बार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा क्षेत्र में मूंगफली की बुवाई की गई। यदि बात करें गुजरात की तो यहां 20 जुलाई तक मूंगफली की बुवाई का आंकड़ा पिछले 3 सालों के सालाना औसत रकबे 17 पॉइंट 51 लाख हेक्टर से भीअधिक है।