हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का प्रयोग मनाया जाता है। इस बार यहपर्व 30 मार्च शनिवार को मनाया गया। रंग पंचमी क्यों मनाते हैं इसे लेकर कई मान्यताये है। रंगपंचमी उत्स्व पूरे देश में नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में मनाया जाता है। इस संबंध कुछ परंपराएं भी पूरे देश में निभाई जाती है। यहां जानते हैं क्यों मनाते हैं रंगपंचमी की का त्योहार।
प्रह्लाद अग्नि से बाहर आए तो सभी लोगों ने भगवान की जय जयकार की
मान्यताओं के अनुसार ,होलीका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर जलती हुयी अग्नि में बैठी तो स्वयं तो जल गयी लेकिन प्रह्लाद अग्नि में 5 दिनों तक बैठे रहे। 5 दिन बाद जब प्रह्लाद अग्नि से बाहर आए तो सभी लोगों ने भगवान की जय जयकार की ओर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर उत्सव मनाया था। तभी से इस दिन रंग पंचमी मनाने की परंपरा शुरू हुई जो तक जारी है।
रंग पंचमी से जुडी एक मान्यता यह भी है की त्रेतायुग में इस तिथि पर भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया था यानी रंग बिरंगे रंगों से अवतार कार्य शुरू किया था। कहते हैं कि रंग पंचमी पर आसमान में फूलों से बने रंग ,गुलाल उड़ने से वातावरण में राजसिक और तामसिक प्रभाव कम होता है और सात्विक प्रभाव पड़ता है। ऐसा करने से देवी देवताओं भी प्रसन्न होते हैं।
रंग पंचमी पर किसकी पूजा करें
धर्म ग्रंथो के अनुसार , चैत्र महीने के पांचवें दिन यानी रंग पंचमी पर पांच देवों की पूजा करनी चाहिए। पंचदेव है ,गणेश जी ,देवी दुर्गा ,भगवान श्री विष्णु और सूर्य देव इन पांच देवों को पूजा करने से हर तरह की रोग, शोक और दोष दूर होते हैं। इस दिन विभिन्न मंदिरों में भी रंग उड़ाकर उत्सव मनाया जाता है।