नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के सीनियर राइटर विनायक पी द्रविड़ ने ने बताया कि चाय बनाने के दौरान हेवी मेटल्स चाय की पत्तियों की सतह पर एब्जॉर्व हो जाती है यानी चिपक जाती है। शोधकर्ताओं ने पानी में सीसा, तांबा, जिंक, कैडमियम, क्रोमियम मिलाई इनमें चाय की पत्तियों को डालकर उबाला इसके बाद चाय की पत्तियों को अलग-अलग समय के लिए डुबोकर रखा। इस तरह पानी में मौजूद खतरों से आसानी से बच सकते हैं।
इस तरह पानी की मौजूद खतरों को आसानी से बच सकते हैं
ब्रूइंग क्लीन वॉटर नाम की यह स्टडी पिछले हफ्ते जर्नल एसीएस फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में पब्लिश की गई है। नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के सीनियर राइटर विनायक पिद्रविड़ ने बताया की कि चाय बनाने के दौरान हेवी मेटल्स मदद चाय की पत्तियों की सतह पर ऑब्जर्व हो जाती हैं यानी चिपक जाते हैं। इस तरह पानी की मौजूद खतरों को आसानी से बच सकते हैं।
उनसे इनमें अंतर की भी जांच की
शोधकर्ता ने इस अध्ययन के जरिये पता लगाया लगाना था कि चाय की पत्तियों में हैवी और खतरनाक मेटल्स को सोखने की कितनी क्षमता है। रोजाना चाय पीने से उन समस्याओं में कहीं देखी जा सकती है ,जो पानी में मौजूद इन मेटल्स की वजह से हो सकती है। नॉर्थ वेस्टर्न के शोधकर्ताओं ने अलग-अलग तरह की चाय की थैली और चाय बनाने की तरीकों से भारी धातुओं को सोखने की सीमा का परीक्षण किया। काली ,सफेद ,हरी और ऊलोंग के साथ ऊलॉन्ग टी के साथ हर्बल मिश्रण जैसे कैमोमाइल, रूइबोस को चुना गया। इन पैकेट में मिलने वाली चाय और कॉटन, नायलॉन और सेल्यूलोज के बैग में मिलने वाली चाय को भी टेस्ट किया और उनसे इनमें अंतर की भी जांच की।
यह प्रक्रिया मेटल्स को पानी से हटा सकती है
शोधकर्ताओं ने पानी में शिक्षा , तांबा जिनक कैडमियम, क्रोमियम मिलाई। इनमे में चाय की पत्तियों को डालकर उबाला। इसके बाद चाय पत्तियों को अलग-अलग समय के लिए डुबोकर रखा। इसके बाद पानी में सीसा और धातुओं जैसे क्रोमियम, तांबा, जस्ता और कैडमियम मिलाई इसे गर्म करने के बाद उसमें चाय की पत्तियांडाली पत्तियों ने कुछ सेकंड्स को लेकर 24 घंटे के लिए अलग-अलग समय तक डुबोकर रखा पानी में मेटल्स की मात्रा चाय जाने चाय पत्ती डालने से पहले और बाद में मेटल लेवल की जांच की गई। रिजल्ट से पता चला कि यह प्रक्रिया मेटल्स को पानी से हटा सकती है।
पानी से करीब 15% सीसा हटाया जा सकता है
शोधकर्ताओं कि पाया की चाय बनाने की प्रक्रिया से पीने वाले में पानी से करीब 15% सीसा हटाया जा सकता है। भले ही सीसे की सांद्रता 10 पार्ट्स प्रति मिलियन हो यह भी अनुमान लगाया गया कि रोजाना एक कप चाय जिसे बनाने के लिए एक कप पानी और एक टी बैग का इस्तेमाल किया जाता है उसे 3 से 5 मिनट तकउबाला जाता है। ‘
इसे पीने से कम समय तक उन समस्याओं से बचा जा सकता है, जो पानी में मौजूद हैवी मेटल्स के चलते होता है। इस शोध से यह भी समझने में मदद मिलती है कि ज्यादा चाय पीने वालों में कम चाय पीने वालों की तुलना में हार्ट अटैक, स्ट्रोक की आशंका कम क्यों हो जाती है. इसके क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।