पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए ‘भ्रामक दावों’ को लेकर अदालत कीअवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रामदेव को कड़ी फटकार लगाई। इसके साथ रामदेव और बालकृष्ण को अदालत ने 30 अप्रैल को फिर से पेश होने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान अदालत ने रामदेव का आदेश दिया कि बड़े साइज में पतंजलि माफीनामे का विज्ञापन फिर से जारी करें। अदालत की फटकार के दौरान रामदेव ने नया विज्ञापन छपवाने की बात सुप्रीम कोर्ट से कही थी जिसके अदालत ने मंजूरी दे दी है। रामदेव के मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा कि हमने माफीनामा दायर किया है।
रामदेव की वकील ने का नहीं इस पर 10 लख रुपए खर्च किए गए हैं
इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने पूछा कि इसे कल क्यों दायर किया गया। हम अब बंडलों को नहीं देख सकते। इसे हमे पहले ही दिया जाना चाहिए था। वह जस्टिस अमानुल्लाह ने पूछा कि यह कहाँ कहां प्रकाशित हुआ जिसका जवाब देते हुए मुकुल रोहतगी ने बताया कि 67 अखबारों में दिया गया जिस पर जस्टिस कोहली की पूछा कि क्या आपकी पिछले विज्ञापनों के समान आकार का था जिस पर रामदेव की वकील ने का नहीं इस पर 10 लख रुपए खर्च किए गए हैं।
रामदेव की वकील रोहतगी ने कहा कि मेरा इससे कोई लेना देना नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें एक आवेदन मिला है जिसे पतंजलि के खिलाफ ऐसी याचिका दायर करने के लिए आईएमए पर 1000 रुपए का जुर्माना लगाने की मांग की गई है। रामदेव की वकील रोहतगी ने कहा कि मेरा इससे कोई लेना देना नहीं है। अदालत ने कहा कि मुझे आवेदक की बात सुनने दे और फिर उसे पर जुर्माना लगाएगी । हमेशा शक है कि क्या यह प्रॉक्सी याचिका है वही अदालत ने भ्रामक सूचनाओं पर कार्रवाई करने के लिए नियमों में संशोधन करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को आड़े हाथो लिया। वहीं जस्टिस कोहली ने कहा कि ,अब आप नियम 170 को वापस लेना चाहते हैं। अगर आप ऐसा निर्णय लेते हैं तो आपके साथ क्या हुआ आप सिर्फ उसे अधिनियम के तहत कार्य करना क्यों चुनते हैं जिससे उत्तरदाताओं ने ‘पुरातन ‘कहा है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस अमानुल्ला ने सवाल उठाया की एक चैनल पतंजलि के ताजे मामले की खबर दिखा रहा था और उस पर पतंजलि का विज्ञापन चल रहा था। अदालत ने कहा कि IMA ने कहा कि वो इस मामले की मैं कंज्यूमर एक्ट को भी याचिका में शामिल कर सकते हैं। ऐसे में सूचना प्रसारण मंत्रालय का क्या। हमने देखा है कि पतंजलि मामले में टीवी पर दिखाया जा रहा है कि कोर्ट क्या कह रहा है। ठीक उसी समय एक हिस्से में पतंजलि का विज्ञापन चल रहा है।
सदस्यों ने भी ऐसे उत्पादों का समर्थन किया
सुप्रीम कोर्ट ने पर केंद्र पर सवाल उठाते हुए कहा की , आपको यह बताना होगा की विज्ञानं परिषद ने ऐसे विज्ञापनों का मुकाबला करने के लिए क्या किया। इसके सदस्यों ने भी ऐसे उत्पादों का समर्थन किया। आपके सदस्य दवाएं लिख रहे हैं। अदालत ने कहा कि ,हम केवल इन लोगों को नहीं देख रहे जिस तरह की कवरेज हमारे पास है वह रखी है। अब हम बच्चों ,शिशुओं , महिलाओं समेत सभी को देख रहे हैं। किसी को भी राइड के लिए नहीं लाया जा सकता। केंद्र को इस पर जागना चाहिए। अदालत ने कहा कि ,मामला केवल पतंजलि तक का नहीं है बल्कि दूसरी कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी है।