जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किल है क्यों ना आए। अगर ठान लिया जाए तो बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जो उसके लिए आने पर निराश हो जाते हैं। लेकिन बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जिनका मुकाबला करते हैं और जिंदगी में नई ऊंचाइयां हासिल करते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया मुरली डिवी ने। एक समय ऐसा भी था जब 12 वी कक्षा में दो बार फेल हुए। इस दौरान उनका खुद से ही भरोसा हिलने लगा था जो थोड़ी बची हुई हिम्मत थी वह दोस्त और रिश्तेदारों ने ताने मार कर खत्म कर दी।
बचपन से ही उनकी जिंदगी इतनी मुश्किल जा रही थी
हालांकि बचपन से ही उनकी जिंदगी इतनी मुश्किल जा रही थी कि उन्होंने इस दौर में भी खुद को टूटने से बचा लिया। वह मुरली डिवी जिन्हे12 वी में दो बार फेल होने के बाद ताने सुनने को मिले थे उन्होंने 1 .3 लाख करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी कर दी। यहां बताते हैं मुरली डिवी की सफलता के बारे में।
जेब में सिर्फ ₹500 लेकर 25 साल की उम्र में अमेरिका पहुंचे थे
मुरली डिवी का जन्म आंध्र प्रदेश की छोटे से गांव में हुआ था। इसी गांव में उनका बचपन बीता। मुरली के पिता साधारण से कर्मचारी थे उन्हें जितना वेतन मिलता था। उसमें 14 परिवारों को खाना खिलाना काफी मुश्किल था। अपने वेतन में वह बस किसी तरह से परिवार को दो वक्त का खाना उपलब्ध कराने में सक्षम थे।
एक समय ऐसा भी था जब मुरली को कभी-कभार एक वक्त खाना ही मिल पाता था। मुरली डिवी पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे। यही वजह थी की कोशिश करने के बावजूद में 12 वी में दो बार फेल हो गए मुरली भी फार्मा करने के बाद जेब में सिर्फ ₹500 लेकर 25 साल की उम्र में अमेरिका पहुंचे थे। वहां उन्होंने फार्मासिस्ट की नौकरी की पहली नौकरी में उन्हें सैलरी के तौर पर ढाई सौ रुपए मिले।
2000 में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ विलय कर दिया गया।
मुरली की कहानी किसी फिल्म की तरह दिखती है। उन्होंने कई सारी फार्मा कंपनियों में काम किया और करीब 54 लाख रुपए जमा कर लिए। अभी फार्मा सेक्टर को अच्छे से समझने लगे थे। वहां कुछ सालों तक काम करने के बाद में वापस भारत लौट आए। मुरली ने अपनी सभी जमा पूंजी लगाकर कर 1994 में फार्मा सेक्टर में कदम रखा। मुरली डिवी ने फार्मा सेक्टर के लिए केमिनोर बनाने के लिए कल्लम अंजी रेड्डी से हाथ मिलाया जिसका 2000 में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ विलय कर दिया गया।
आज कंपनी 1. 3 लाख करोड़ रुपए की हो चुकी है
इस दौरान डॉक्टररेड्डीज लैब्स में 6 वर्षों तक काम करने के बाद मुरली ने 1990 में दिविज लैबोरेट्रीज लॉन्च की। 1995 में मुरली डिवी ने अपनी पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चौटुप्पल, तेलंगाना में स्थापित की। उसके बाद एक के बाद एक प्लांट लगने लगे साल 2002 में कंपनी ने दूसरी यूनिट शुरू कर दी। मार्च 2022 में कंपनी ने 88 बिलियन का रेवेन्यू जेनरेट किया। आज कंपनी 1. 3 लाख करोड़ रुपए की हो चुकी है।