Soybean Rate: मप्र के किसानों को बड़ा झटका, 4529 से नीचे के भाव पर केंद्र नहीं देगा पैसा

Saroj kanwar
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MP News: भावांतर योजना से अपना घाटा कम करने की उम्मीद लगाए बैठे सोयाबीन उत्पादक किसानों को बड़ा झटका लग सकता है। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि वह केवल 40% उत्पादन और न्यूनतम समर्थन मूल्य से 15% तक का ही भावांतर देगी। इसका सीधा असर यह होगा कि मंडियों में अगर दाम 4529 रुपए क्विंटल से नीचे जाते हैं तो किसानों को भाव का पूरा अंतर नहीं मिलेगा। इसे इस तरह समझिए अगर

किसी किसान का सोयाबीन 4028 रुपए क्विंटल बिका, यानी एमएसपी 5328 रुपए से उसे 1300 रुपए कम मिले, तब भी उसे अधिकतम एमएसपी से 15% तक का भावांतर ही मिलेगा। यह राशि 799 रुपए बनती है, यानी किसान को 501 रुपए प्रति क्विंटल का घाटा झेलना पड़ेगा। प्रदेश की मंडियों की हालात तो यह हैं कि सोयाबीन अभी ही 3500 से 4000 रुपए क्विंटल तक बिक रहा है। ऐसे में किसान के घाटे की भरपाई कैसे हो पाएगी, ये बड़ा सवाल है। हालांकि राज्य सरकार चाहें चाहें तो अपने खर्चे पर अतिरिक्त खरीदी और भावांतर दे सकती है, लेकिन इसे लेकर सरकार की ओर से अब तक कोई स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है।

23 हजार करोड़ के नुकसान की भरपाई 2908 करोड़ से कैसे होगी?

इस बार अतिवृष्टि और पीला मोजेक रोग के कारण सोयाबीन का उत्पादन आधा होकर करीब 7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रह गया है। किसानों को इस बार 23,233.08 करोड़ का नुकसान हो सकता है। पिछले साल एमएसपी पर सोयाबीन 40,701.44 करोड़ का हुआ था। इस साल अगर औसत भाव 4 हजार रुपए क्विंटल और अधिकतम भावांतर 799 रुपए माना जाए तो कुल उत्पादन की कीमत 17,468.36 करोड़ रहेगी। ऐसे में सरकार किसानों के 23,233.08 करोड़ के घाटे की भरपाई 2,908 करोड़ के भावांतर से करेगी।

बड़ी क्रॉप पर प्रयोग गलत

मप्र में सोयाबीन खरीफ की सबसे बड़ी क्रॉप है। सरकार को 7 साल बाद भावांतर का प्रयोग करना ही था तो किसी छोटी क्रॉप पर करती। बड़ी क्रॉप पर ये प्रयोग तब और गलत हो जाता है जब किसान पर पहले ही मौसम की मार है। केदार सिरोही, पूर्व सदस्य कृषि सलाहकार परिषद।

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