ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित नर्मदा नदी के बीच मन्धाता नाम के द्वीप पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है और भगवान शिव के भक्तो के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के किनारे ओमकार के आकर वाले द्वीप पर स्थित है। इसलिए मंदिरइस का नाम उनका ओंकारेश्वर पड़ा। इस मंदिर का उल्लेख हिंदू धर्म के कई प्राचीन ग्रंथो जैसे कि स्कंद पुराण ,विष्णु पुराण और महाभारत में भी मिलता है।
ओमकारेश्वर और ममलेश्वर दो रूपों में पूजा जाता है
यहां पर भगवान शिव को ओमकारेश्वर और ममलेश्वर दो रूपों में पूजा जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को लेकर बहुत सी मान्यताये प्रचलित है। इनमें सबसे प्रमुख मान्यता है कि भगवान शिव रात के समय ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में निवास करते हैं। वे यहां आकर रात में निवास करते हैं। इसलिए रात में यहां भगवान शिव के लिए बिस्तर लगाया जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को लेकर के मान्यता है कि मंदिर में भगवान श्री माता पार्वती के साथ चौसर यानी की चौपड़ खेलने भी आते हैं। इसलिए यहां रात के समय चौपड़ बिछाई जाती है औरगर्भगृह करके दरवाजा को बंद कर दिया जाता है।
ओंकारेश्वर मंदिर को जल चढ़ाएं बिना साधक की सभी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती है
आप आपको जानकर हेरानो होगी की मंदिर के अंदर रात के समय कोई भी नहीं जा सकता फिर भी यहां सुबह चौपड़ और उसके पासे इस तरह से बिखरे हुए रहते है जैसे रात्रि के समय किसी ने आकर चौपड़ पासे खेले है। ओंकारेश्वर ज्योतिष को लेकर खास मान्यता तो यह भी है कि ओंकारेश्वर मंदिर को जल चढ़ाएं बिना साधक की सभी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती है।
ओंकारेश्वर मंदिर को लेकर अत्यधिक धर्मिक महत्व माना जाता है
हिन्दू धर्म में ओंकारेश्वर मंदिर को लेकर अत्यधिक धर्मिक महत्व माना जाता है। मान्यता है की मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने और नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति की सभी पाप धुल जाते हैं । और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्त होती है। इस पवित्र स्थल पर ध्यान और पूजा करने से मन को शांति और आध्यात्मिक बल मिलता है। यह स्थान ध्यान और साधना के लिए बहुत शानदार है। ओंकारेश्वर में स्थित ज्योतिर्लिंग से दिव्य ऊर्जा का संचार होता है यहां की सकारात्मक ऊर्जा से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति और समृद्धि का आगमन उत्तर सभी मनोकामनाएंपूर्ण होती है।