Registry New Rule: भारत में भूमि से जुड़े मामलों में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने 2025 में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस नए नियम के अनुसार, जब भी कोई व्यक्ति किसी से जमीन खरीदता है, तो केवल रजिस्ट्री कराने से उसका काम पूरा नहीं हो जाता। रजिस्ट्री के बाद खरीदार को दाखिल खारिज की प्रक्रिया भी पूरी करनी होगी। यह नियम भूमि संबंधी विवादों को कम करने और वास्तविक मालिकाना हक स्थापित करने के लिए बनाया गया है। इस प्रक्रिया के बिना जमीन का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त नहीं होता है।
दाखिल खारिज क्या है और क्यों जरूरी है
दाखिल खारिज एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके द्वारा भूमि का स्वामित्व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम स्थानांतरित किया जाता है। जब आप किसी से जमीन खरीदते हैं और केवल रजिस्ट्री कराते हैं, तो राजस्व रिकॉर्ड में अभी भी पुराने मालिक का नाम रहता है। दाखिल खारिज करने से राजस्व रिकॉर्ड में आपका नाम दर्ज हो जाता है और आप कानूनी रूप से उस जमीन के मालिक बन जाते हैं। इसके बिना आपको जमीन पर पूर्ण अधिकार नहीं मिलते हैं और भविष्य में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
दाखिल खारिज न करने के गंभीर परिणाम
यदि आप जमीन खरीदने के बाद दाखिल खारिज नहीं कराते हैं, तो इससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। पहली समस्या यह है कि राजस्व रिकॉर्ड में अभी भी पुराने मालिक का नाम होने के कारण वह उस जमीन को गिरवी रखकर लोन ले सकता है। दूसरी समस्या यह है कि वह उसी जमीन को किसी और व्यक्ति को भी बेच सकता है, जिससे आपके साथ धोखाधड़ी हो सकती है। तीसरी समस्या यह है कि भविष्य में जब आप अपनी जमीन बेचना चाहेंगे या उस पर कोई निर्माण कार्य करना चाहेंगे, तो कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।
दाखिल खारिज की सरल प्रक्रिया
दाखिल खारिज कराना एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है जिसे कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इसके लिए आपको अपने क्षेत्र के सब रजिस्टार कार्यालय में जाना होगा। वहां आपको एक आवेदन फॉर्म भरना होगा और केवल 100 रुपए का शुल्क देना होगा। आवेदन के साथ आपको जमीन से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे कि रजिस्ट्री, खसरा नंबर, और खतौनी की फोटोकॉपी संलग्न करनी होगी। इस प्रक्रिया में सामान्यतः 15 से 30 दिन का समय लगता है, जिसके बाद राजस्व रिकॉर्ड में आपका नाम दर्ज हो जाता है।
भूमि धोखाधड़ी से कैसे बचें
आजकल भूमि संबंधी धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिसमें एक ही जमीन को कई लोगों को बेच दिया जाता है। इससे बचने के लिए जमीन खरीदने से पहले भूमि राजस्व विभाग के कार्यालय में जाकर उस जमीन की पूरी जानकारी प्राप्त करें। वहां से आपको पता चल जाएगा कि जमीन वास्तव में किसके नाम है और उस पर कोई विवाद तो नहीं है। खसरा नंबर, खतौनी, और अन्य सभी दस्तावेजों की जांच करें। केवल उसी व्यक्ति से जमीन खरीदें जिसके नाम राजस्व रिकॉर्ड में जमीन दर्ज है। जमीन खरीदने के तुरंत बाद दाखिल खारिज की प्रक्रिया शुरू कर दें ताकि किसी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सके।
जमीन खरीदते समय जरूरी सावधानियां
जमीन खरीदना जीवन का एक बहुत बड़ा निर्णय है, इसलिए इसमें जल्दबाजी न करें। पहले उस क्षेत्र की बाजार दर का पता लगाएं और फिर निर्णय लें। जमीन से संबंधित सभी कागजात की फोटोकॉपी लेकर किसी अनुभवी वकील से सलाह लें। यदि संभव हो तो किसी भूमि सलाहकार की सेवा भी ले सकते हैं। जमीन के चारों ओर का सर्वे कराएं और पड़ोसियों से भी उस जमीन के बारे में जानकारी लें। यदि जमीन पर कोई निर्माण है तो उसकी भी जांच करें कि वह वैध है या नहीं। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ही पैसे का भुगतान करें।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। भूमि संबंधी कोई भी निर्णय लेने से पहले कृपया संबंधित सरकारी कार्यालयों से संपर्क करें और वकील की सलाह लें। लेखक इस जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं देता है।