Ratlam News: रतलाम जिला में जावरा क्षेत्र के गांव में सरकारी आबादी और निजी जमीन के अलग-अलग बंटा नंबर करके हेराफेरी कर फर्जीवाड़ा करने का मामले सामने आए 6 महीने बीत गए हैं। विभागीय जांच में दोषियों पर अब तक कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं हुआ। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है। मामले में पंच गौरव जैन और भाजपा नेता सुरेश धाकड़ ने प्रशासन से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। ऐसा नहीं करने पर 4 अगस्त से पंचायत परिसर में आमरण अनशन और धरना देने की चेतावनी दी।
बता दें कि बापूलाल बामता, राधेश्याम, कैलाश, महेश, बंशीलाल और भेरूलाल बामता ने 5 जनवरी 2025 को कालूखेड़ा थाने में आवेदन दिया था। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज कालूराम के नाम से ग्राम पंचायत रिकॉर्ड में मकान क्रमांक 377 दर्ज है। उन्होंने कभी मकान बेचा नहीं, न ही बंटवारे के लिए आवेदन दिया। फिर भी रिकॉर्ड में बटांकन 377/1, 377/2 और 377/3 बनाकर इन्हें राजेश, चमनलाल और उमा धाकड़ के नाम दर्ज कर दिया। आशंका है कि ये पूर्व सरपंच के रिश्तेदार हैं। पंचायत ने फर्जी सीमांकन कर प्रमाण-पत्र जारी किए। इन्हीं के आधार पर रजिस्ट्री हुई और ड्रोन सर्वे में सरकारी जमीन भी उनके नाम दर्ज हो गई।
शिकायतकर्ता बापूलाल बामता का एक महीने पहले निधन हो चुका है लेकिन अभी तक उनके द्वारा की गई शिकायत पर दोषियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी गांव में ड्रोन सर्वे के दौरान सरकारी आबादी भूमि निजी लोगों के नाम करने के मामले में सरपंच संतोष सोनार्थी, पंच गौरव जैन व भाजपा नेता सुरेश धाकड़ ने भी एसडीएम व कलेक्टर से शिकायत की थी बल्कि लोकायुक्त में भी मामला जांच में है। मामले में पिपलौदा जनपद सीईओ छितू वास्केला ने बताया जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत को भेज दिया है। हमारे स्तर से कोई कार्रवाई शेष नहीं है।
रिकॉर्ड में हेराफेरी और फर्जीवाड़े की पुष्टि फिर भी कार्रवाई जीरो
6 जनवरी को पंच गौरव जैन ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की। इस पर पिपलौदा जनपद सीईओ ने तीन सदस्यीय जांच दल बनाया था। इन्होंने 5 फरवरी 2025 को रिपोर्ट सौंपी। इसमें मकान क्रमांक 377 के रिकॉर्ड में हेराफेरी, 2011-12 और 2012-13 की मांग वसूली पंजी तैयार करने की पुष्टि हुई। पंचायत प्रमाण पत्र जारी करने में तत्कालीन सचिव अशोक परमार और वर्तमान सचिव घनश्याम सूर्यवंशी का भी नाम आया। जांच रिपोर्ट के 6 माह बाद भी कोई प्रकरण दर्ज नहीं हुआ। जैन ने हाल ही में एसपी, थाना प्रभारी, कलेक्टर, आईजी उज्जैन, जिला पंचायत सीईओ, अपर मुख्य सचिव पंचायत विभाग और लोकायुक्त को शिकायतें भेजकर सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी मांगी।