Railway Waiting Ticket Rules 2025: रेलवे बोर्ड के निर्देश पर सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम (क्रिस) में 15 जून से हुए एक बदलाव के चलते पूरी टिकटिंग व्यवस्था प्रभावित हो गई है। अब कंफर्म सीट तो दूर, यात्रियों को वेटिंग टिकट भी नहीं मिल पा रहा है।
रेलवे टिकटिंग सिस्टम में बदलाव
15 जून 2025 से रेलवे के टिकटिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव किया गया है, जिससे यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) के नए नियम के अनुसार, अब सिर्फ 25% सीटों तक ही वेटिंग टिकट जारी किए जाएंगे। इसके बाद यात्री को ‘नो-रूम’ यानी रिजर्वेशन से इनकार कर दिया जाएगा।
वेटिंग टिकट की संख्या घटने से बढ़ी कंफर्म होने की संभावना
रेलवे का तर्क है कि वेटिंग टिकट की सीमा घटाने से कंफर्मेशन की संभावना बढ़ेगी। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी ट्रेन की Sleeper क्लास में 300 सीटें हैं, तो सिर्फ 75 वेटिंग टिकट ही जारी होंगे। इससे यात्रियों को अनावश्यक भीड़ और असुविधा से राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
वेटिंग नहीं तो जनरल कोच में भी नहीं मिल रही जगह
अब स्थिति यह हो गई है कि यात्रियों को न सिर्फ कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा। बल्कि वेटिंग टिकट भी नहीं मिल पा रहा है। इससे परेशान यात्री जनरल कोच की ओर रुख कर रहे हैं. जहां भीड़ पहले से दोगुनी हो गई है। जिन्हें जनरल में भी जगह नहीं मिल रही, वे पेनाल्टी देकर स्लीपर और एसी कोच में चढ़ रहे हैं, जिससे टिकट निरीक्षकों और यात्रियों के बीच विवाद बढ़ रहा है।
गोरखधाम एक्सप्रेस में AC First Class तक वेटिंग सीमित
गोरखपुर से चलने वाली गोरखधाम एक्सप्रेस में अब AC First Class में भी केवल चार वेटिंग के बाद ‘नो-रूम’ की स्थिति बन रही है. जबकि उस श्रेणी में केवल 6 सीटों का ही मुख्यालय कोटा होता है। इससे यह साफ है कि सीट की तुलना में वेटिंग टिकट की कटौती कितनी सख्त कर दी गई है।
प्रमुख ट्रेनों में 14 जुलाई तक नो-रूम की स्थिति
गोरखपुर से चलने वाली प्रमुख ट्रेनों में सीट की उपलब्धता इस प्रकार है:
14 जुलाई तक: सप्तक्रांति एक्सप्रेस – सभी क्लास में ‘नो-रूम’
6 जुलाई तक: गोरखधाम एक्सप्रेस – सभी श्रेणियों में नो-रूम
7 जुलाई तक: 19038 अवध एक्सप्रेस – नो-रूम
4 जुलाई तक: 22537 कुशीनगर एक्सप्रेस – सभी क्लास में नो-रूम
29 जून तक: 11056 गोदान एक्सप्रेस – सभी श्रेणियों में नो-रूम
यह आंकड़े दिखाते हैं कि वेटिंग टिकट की नई सीमा ने टिकटिंग पर कैसा सीधा प्रभाव डाला है।
पहले क्या था नियम, अब क्या बदल गया?
पहले:
ट्रेनों में 100–200 से अधिक वेटिंग टिकट भी जारी किए जाते थे
त्योहारों और छुट्टियों के दौरान भी यात्री को टिकट मिल जाता था
अधिकतर यात्री वेटिंग पर भी ट्रेन में चढ़ जाते थे
केवल 25% सीट तक वेटिंग जारी
उसके बाद ‘रिग्रेट’ या ‘नो-रूम’
यात्री को कोई भी टिकट नहीं मिल पा रहा है, भले ही सीट बाद में खाली हो
व्यवस्था को पारदर्शी और संतुलित बनाना
रेलवे का कहना है कि यह कदम यात्रियों की असुविधा और फर्जी टिकट खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए उठाया गया है। कम वेटिंग से उन यात्रियों को फायदा होगा जो वाकई यात्रा करने के इच्छुक हैं और कंफर्म टिकट मिलने की संभावना अधिक होगी।
यात्रियों को हो रही है दिक्कतें
यह नई व्यवस्था हालांकि दीर्घकालिक लाभ दे सकती है. लेकिन फिलहाल यात्रियों को आपात स्थिति में भी यात्रा करने के लिए टिकट नहीं मिल पा रहा। बिना वेटिंग टिकट के सफर करना गैरकानूनी है. जिससे यात्रा करना जोखिमभरा बन गया है।