अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा है और इस कार्यक्रम और पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है। देशभर के लोगों में इस कार्यक्रम को भरपूर उल्लास और भरपूर उत्साह का वातावरण है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश विदेश में हजारों अतिथि शामिल होने वाले हैं। आईए जानते हैं क्या होती है प्राण प्रतिष्ठ और क्यों जरूरी है इसका अनुष्ठान
प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म का प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है। जब भी कोई मंदिर बनता है तो उसमें देवी देवताओं की मूर्ति स्थापना की जाती है तो उनकी पूजा से पहले प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।’ प्राण’ का अर्थ होता है ‘जीवन’ इसलिए प्राण प्रतिष्ठा करते हुए प्रतिमा में देवी देवताओं के आनेका आह्वान करना
प्राण प्रतिष्ठा से पहले
प्राण प्रतिष्ठा के पहले तक प्रतिमाओं का पूजा के योग्य नहीं माना जाता है। उसे समय तक प्रतिमा निर्जीव रहती है ,विधि विधान से प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से में देवी देवताओं का वास माना जाता है।
प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया
प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रतिमा को सम्मान पूर्वक मंदिर लाया जाता है जहां प्रतिमा की स्थापना होनी है। वहां द्वार पर प्रतिमा का विशिष्ट स्वागत किया जाता है। प्रतिमा को सुगंधित चीजों का लेप लगाकर दूध से नहलाया जाता है। इसके बाद प्रतिमा को मंदिर के गर्भ ग्रह में रखा जाता है और ब्राह्मण प्रतिमा की विशेष पूजन प्रक्रिया शुरू की जाती है। प्रतिमा का मुख्य हमेशा पूर्व दिशा की ओर ही रखा जाता है इसके बाद देवता का आमंत्रित करने के लिए मंत्र पाठ किया जाता है। सबसे पहले प्रतिमा की आंखों से पर्दा हटाया जाता है यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद फिर मंदिर में उसे देवता की मूर्ति की पूजा अर्चना होती है।
घर में पत्थर की प्रतिमा
धर्म के विद्वानों के अनुसार घर में प्रतिमा पत्थर की प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि उन प्रतिमाओं को रखने से रोज उसकी उचित प्रकार की पूजा और अनुष्ठान करना जरूरी होता है। विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा के साथ देवी देवता स्थापित देव प्रतिमाओं की उचित पाठ पूजा नहीं किए जाने पर यह आसपास रहने वालों को भारी हानि हो सकती है।