Positive Story: 10 साल से आर्थिक कमजोर बच्चों को निःशुल्क पढ़ा रहे नारकोटिक्स से रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर यादव, शिक्षा से गढ़ रहे हैं नौनिहालों का भविष्य

Saroj kanwar
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Positive Story From Ratlam: सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद अधिकतर लोग आराम और सुकूनभरा जीवन चुनते हैं। नारकोटिक्स से रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर जगदीशचंद्र यादव ने समाजसेवा की एक अलग राह अपनाई। 10 साल से वे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उनका मानना है कि शिक्षा ही समाज में बदलाव का सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने सेवाओं को बच्चों की पढ़ाई और कैरियर निर्माण के लिए समर्पित कर दिया। वे बताते हैं कि पिताजी चाहते थे कि मैं शिक्षक बनूं। सरकारी सेवा के कारण यह सपना अधूरा रह गया। अब उनकी आत्मशांति के लिए मैंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया है।

यादव रोज करीब 50 बच्चों को निःशुल्क पढ़ा रहे हैं। वे रोज 4 घंटे बच्चों को देते हैं। अब तक 80 बच्चों का चयन नवोदय, उत्कृष्ट, ज्ञानोदय और मींस कम मेरिट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में हो चुका है। वे बच्चों को खास तौर पर गणित के शॉर्ट ट्रिक्स, तर्क शक्ति का विकास और हिंदी व्याकरण पर जोर देते हैं। इतना ही नहीं पढ़ाई को और प्रभावी बनाने के लिए वे रोज 2 घंटे यूट्यूब से भी ट्रेनिंग लेते हैं। लोगों के अनुसार तो ग्रामीण और साधारण परिवारों के बच्चों के लिए यह पहल किसी संजीवनी से कम नहीं है। निजी कोचिंग सेंटरों की बढ़ती फीस और संसाधनों की कमी के बीच इन बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना बड़ी राहत है।

39 साल नारकोटिक्स में दी सेवा

39 वर्षों तक नारकोटिक्स विभाग में सेवा देकर सेवानिवृत जगदीशचंद्र यादव आन समाज के लिए प्रेरणा बन गए हैं। मंदसौर, नीमच, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा और फैजाबाद जैसे कई जिलों में सेवा देने वाले यादव अब ऊर्जा बच्चों की निःशुल्क शिक्षा में लगा रहे हैं। उन्होंने अपने निवास पर स्व. लालचंद यादव स्मृति शिक्षा केंद्र भी संचालित किया है, जहां स्थानीय बच्चों को फ्री शिक्षा दी जा रही है।

बच्चों का सिलेक्शन होने पर मिलता है मोटिवेशन 

यादव की सबसे बड़ी खुशी उनके छात्रों की सफलता है। वे बताते हैं कि उनकी प्रेरणा तब और बढ़ गई जब रतलाम ग्रामीण की आलिया शाह और भावेश श्यामलाल सुनेरी नवोदय की मेरिट सूची में चयनित हुए। इसी तरह डोडर का मनीष कैथवास इंजीनियर बन चुका है। ऐसे ही बच्चे उन्हें मोटिवेट करते हैं। बच्चों के बीच जाकर जो आत्मीय संतोष मिलता है, वह दौलत कमाने से नहीं मिल सकता। यह मेरी सबसे बड़ी कमाई है।

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