91 साल से इस मिठाई के है दीवाने लोग ,नहीं होता किसी भी कैमिकल का कोई इस्तेमाल ,यहां जाने कहाँ मिलती है ये टेस्टी मिठाई

Saroj kanwar
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मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक ऐसी मिठाई मिलती है जो आपकी आत्मा को तृप्त कर देगी। आपका पेट भर जाएगा लेकिन मन नहीं भरेगा। यह मिठाई जिले की हटा में 91 सालों से बनाई जा रही है। इसे दमोह ही नहीं बल्कि पूरी बुंदेलखंड में ‘गफलू की गुझिया’ के नाम से जाना जाता है। शुद्ध मावे से बनने वाली ये मिठाई अपने आप में काफी अनोखी है क्योंकि इस मिठाई में बनने के लिए किसी भी तरह की केमिकल का प्रयोग नहीं होता है।

91 साल से लोग इस गुझिया की दीवाने हैं

इस मिठाई को पुराने तरीके से ही बनाया जाता है इसलिए 91 साल से लोग इस गुझिया की दीवाने हैं। पुरानी भारतीय पद्धति में मिठाई को बनाने के लिए सामान्य तरीकों का प्रयोग किया जाता था उसमें ना तो कोई केमिकल होता था और ना ही स्वाद या रंग बढ़ाने के लिए किसी भी तरह का हानिकारक पदार्थों का उपयोग किया जाता था। यह मिठाई आज भी इसी पद्धति से बनाई जाती है। हटा निवासी गजाधर नेमा ने सन 1932 में इस मिठाई को बनाना शुरू किया। इसके बाद उमके बेटे गफलू ने इस मिठाई को बनाना शुरू किया था उसे लेकर अब तक यह मिठाई ‘गफलू की गुझिया’ के नाम से पहचानी जाती है।

मिट्टी के चूल्हे पर घंटे की मेहनत के बाद मिठाई तैयार होती है

हालाँकि की गफलू नेमा का निधन साल 2020 में हो गया था। अब उनके दत्तक पुत्र दिग्विजय नेमा और उनकी पुत्रवधू आराधना नेमा गफलू की गुझिया को उसी स्वाद में बनाते हैं। यह मिठाईविशुद्ध रूप से मावा ,शक्कर और और इलायची से बनाई जाती है। पुरानी पद्धति से लकड़ी का ईंधन का प्रयोग कर मिट्टी के चूल्हे पर घंटे की मेहनत के बाद मिठाई तैयार होती है । फिर इस मिठाई को रूप प्रदान किया जाता है। यही कारण है कि आधुनिक युग में विभिन्न पद्धति और विभिन्न रसायनों का प्रयोग करने की मिठाई से अलग ये मिठाई स्वाद में भी दिलचस्प है।

मिठाई खाना और दूसरों के लिए खरीद कर ले जाना नहीं भूलते

आज भी लोग जब हटा जाते हैं तो वह मिठाई खाना और दूसरों के लिए खरीद कर ले जाना नहीं भूलते। स्वर्गीय गफ्लू नेमा के दत्तक पुत्र दिग्विजय नेमा अब इस दुकान का संचालन करते हैं । उनका कहना है कि उनके पिता गफलू नेमा के पिता यानी उसकी दादाजी के द्वारा इस मिठाई का निर्माण शुरू किया गया था और 91 साल से लगातार मिठाई न केवल उनकी दुकान की पहचान है बल्कि ‘हटा’ की पहचान है। अब उनकी पत्नी आराधना नेमा और वे स्वयं करीगरों के मिलकर इस मिठाई का निर्माण करते हैं। इस तरह में गुझिया प्रशिद्धि बरकरार बनी हुयी है।

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