अब ब्याज पर बिना लाइसेंस पैसे देना पड़ सकता है महंगा ,यहां जाने सरकार ने बनाये क्या कानून

Saroj kanwar
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आज के समय में खर्च अधिक और आय कम होने के कारण व्यक्ति को किसी न किसी समय कर्ज लेना पड़ता है। आज अनेक वित्तीय संस्थाएं लोगों को व्यापारिक तौर से कर्ज बांट रही हैं यह वित्तीय संस्थाएं बैंक या अन्य संस्था होती है । ये ब्याज का धंधा करते है लोगों को कर्ज देती है उस पर ब्याज के रूप में कोई राशि लेती है जो उनकी कमाई होती है। इन संस्थाओं के सरकार ने व्यापार को करने के लिए लाइसेंस दे रखा है लेकिन इन संस्थाओं से अलग कुछ लोग निजी रूप से छोटे स्तर पर ब्याज पर रुपए उधार देने जैसा काम करते हैं। कुछ लोग ऐसे होते है बैंक द्वारा लोन नहीं दिया जाता है क्योंकि बैंक लोन के लिए जिन शर्तो को लगा लगाती है वह उन शर्तो को पूरा नहीं कर पाते है। बैंक उन्हें लोन लेने का पात्र नहीं मानती। बैंक की ऐसी शर्त की पूर्ति नहीं करने के कारण व्यक्ति कर्ज लेने के लिए निजी लोगों के पास जाता है।

बगैर लाइसेंस के लिए कि नहीं किया जा सकता ब्याज का धंधा

ब्याज से संबंधित कोई भी काम करने के लिए मनी लेंडिंग एक्ट के अंतर्गत सरकार द्वारा स्थापित संस्था से लाइसेंस लेना होता है। अलग-अलग प्रदेशों में साहूकार अधिनियम भी होता है इस साहूकार अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए प्राधिकरण ब्याज पर रुपए देने के व्यापार करने के लिए लाइसेंस देते हैं। इस प्रकार लाइसेंस लेने की प्रक्रिया होती है जितने भी लोगों को लाइसेंस दिया जाता है उन लोगों को एक निश्चित दर पर ब्याज लेने का आदेश किया जाता है। वह लोग उस निश्चित दर से अधिक ब्याज पर नहीं ले सकते। उन्हें अपने सभी कार्यों का लेखा-जोखा रखना होता है ऐसे लोगों का यह उन्हें प्रतिवर्ष प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करना होता है।

इस प्रकार कोई व्यक्ति निजी रूप से भी छोटे स्तर पर ब्याज का व्यापार कर सकता है। अधिक मामलों में देखने को मिलता है कि नगर के गुंडे बदमाश ब्याज पर रुपए उधार देने का काम करते हैं इन लोगों के पास किसी भी सरकारी संस्था का कोई भी लाइसेंस नहीं होता। यह अपनी मनमर्जी से लगाई हुई ब्याज दर से लोगों को ब्याज पर रुपए उधार देते हैं इनका ब्याज एक चक्रव्यूह की भांति चलता है।

कोई भी व्यक्ति इसमें फंसता चला जाता है क्योंकि लोग प्रतिमाह ब्याज अदा कर देते

कोई भी व्यक्ति इसमें फंसता चला जाता है क्योंकि लोग प्रतिमाह ब्याज अदा कर देते और मूलधन की राशि वही की वही रहती है । इस तरह से लोग ब्याज व्यापारी के फंदे में फंसते ही चले जाते हैं। इस तरह से लोग ब्याज माफियाओं के फंदे में फंसते ही चले जाते हैं।यह स्पष्ट रूप से एक अपराध है। पहली बात तो यह है कि बगैर लाइसेंस के कोई भी ब्याज़ का व्यापार नहीं किया जा सकता। दूसरी बात यह है कि अगर बगैर लाइसेंस के भी काम किया जा रहा है तब मनमर्जी से कोई भी ब्याज दर नहीं लगाई जा सकती, बल्कि वही ब्याज दर ली जा सकती है जिसे सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है।

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