New Land Policy: हरियाणा सरकार ने राज्य में बोर्ड, निगम, पंचायती राज और स्थानीय निकायों की जमीन की खरीद को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब इस प्रक्रिया में देरी नहीं होगी क्योंकि अब तक जो काम उच्चाधिकार प्राप्त भूमि क्रय समिति करती थी। अब सीधे मुख्यमंत्री की मंजूरी से पूरा होगा। इससे प्रोजेक्ट्स की रफ्तार तेज होने की उम्मीद है।
नई अधिसूचना जारी
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा की ओर से नई अधिसूचना जारी की गई है। इसके तहत अब कोई भी बिल्डर या निजी संस्था अगर बोर्ड, निगम या अन्य सरकारी संस्थाओं की जमीन कलेक्टर रेट के चार गुना या पिछले साल की दो सबसे ऊंची रजिस्ट्री दरों के औसत में से जो भी अधिक हो, उस कीमत पर खरीदने को तैयार है, तो मुख्यमंत्री की अनुमति से उसे बेचने की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
25% एडवांस देकर शुरू होगी प्रक्रिया
नए नियमों के मुताबिक, इच्छुक बिल्डर या संस्था को अपनी मंशा जाहिर करते हुए देय राशि की 25 फीसदी रकम के साथ संबंधित संगठन या विभाग के प्रमुख को आवेदन देना होगा। इसके बाद प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा, और उनकी मंजूरी मिलने पर प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स में क्यों जरूरी होती है सरकारी जमीन?
राजस्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार कई बार बिल्डिंग या इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में सरकारी जमीन, खासतौर पर अप्रोच रोड या कनेक्टिविटी के लिए जरूरी होती है। पहले इन जमीनों की बिक्री भूमि क्रय समिति की अनुमति से होती थी। लेकिन समिति की बैठकें समय पर न होने या तकनीकी कारणों से फंसी फाइलों की वजह से कई प्रोजेक्ट अटक जाते थे।
सरकारी जमीन खरीदने वालों को मिलेगी बड़ी राहत
इस बदलाव से खासतौर पर उन बिल्डर्स को राहत मिलेगी जिन्हें सार्वजनिक संस्थाओं की सीमावर्ती जमीन की जरूरत होती है। अब वे बिना लंबे इंतजार के मुख्यमंत्री की सीधी स्वीकृति से जमीन खरीद सकेंगे। इससे प्रोजेक्ट्स की लागत और समय दोनों की बचत होगी।
क्या बदलेगा इस फैसले से?
- तेजी से हो सकेगी सरकारी जमीन की बिक्री
- बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स को मिलेगा नया बल
- राज्य को राजस्व में बढ़ोतरी की संभावना
- भूमि क्रय समिति पर दबाव कम होगा
- प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी
लंबे समय से चल रही थी मांग
बिल्डर्स और निजी संस्थाओं की ओर से लंबे समय से यह मांग उठ रही थी कि जमीन खरीद प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट बनाया जाए। इस नीति परिवर्तन को उद्योग के अनुकूल कदम माना जा रहा है। जिससे न केवल निवेश को बढ़ावा मिलेगा। बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट भी गति पकड़ेगा।
अब क्या करना होगा जमीन खरीदने के लिए?
- मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद बिक्री प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
- इच्छुक संस्था को कलेक्टर रेट के 4 गुना या पिछले साल की उच्चतम सेल डीड के औसत मूल्य पर खरीदने की सहमति देनी होगी।
- कुल राशि की 25% अग्रिम भुगतान के साथ आवेदन जमा करना होगा।
- संबंधित विभाग इसे मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजेगा।