MP News: मध्य प्रदेश में अतिवृष्टि से बर्बाद हुई सोयाबीन, किसानों में भावांतर योजना से रोष, एमएसपी पर खरीदी की मांग

Saroj kanwar
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MP News: मध्य प्रदेश में अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है। इस बीच सरकार ने भावांतर योजना लागू कर मंडियों में कम बिक रही सोयाबीन पर किसानों को अंतर की राशि देने की योजना बनाई है। लेकिन किसानों का कहना है कि जब उनकी फसल ही 50 किलो से अधिक नहीं हुई है, तो भावांतर योजना का कोई लाभ नहीं। यदि सरकार खरीदी करना चाहती है तो सीधे एमएसपी पर खरीदी करे। इससे बिचौलिये और व्यापारी केवल बिल बनाकर योजना का फायदा नहीं उठा पाएंगे।

किसानों का कहना है कि इस इस योजना के लागू होने से बिचौलिए व बड़े व्यापारी उनका पुराना सोयाबीन इस योजना में तौल देंगे। किसानों को मुआवजा और बीमा राशि से वंचित होना पड़ेगा। रिंगनिया के किसान महेश पाटीदार, रमेशचंद्र दवे, परमानंद सिसोदिया ने बताया कि सरकार भावांतर योजना लागू कर बिचौलियों और व्यापारियों का फायदा करना चाहती है। अगर सरकार सच में किसानों का भला चाहती है तो किसानों को मुआवजा व बीमा राशि दी जाए। रिंगनिया के संजय पाटीदार ने बताया कि 10 बीघा की सोयाबीन खराब हो गई, ऐसे भावांतर योजना का क्या लाभ। मलवासा के बाला पटेल ने बताया कि 8 बीघा में सोयाबीन की फसल लगाई थी। पीले मोजेक व अत्यधिक बारिश से खेतों में ही फसल सड़ गई। इससे पशुपालन पर भी संकट खड़ा हो गया।

भावांतर पर किसान नेताओं की पीड़ा

किसान नेता अरविंद पाटीदार ने बताया कि सरकार किसानों के साथ फुटबॉल की तरह नहीं खेले। सरकार के पूरा डाटा है, उन्हें सीधे किसानों के खाते में एमएसपी और मंडियों में मॉडल रेट का अंतर भेज देना चाहिए। यदि यह संभव नहीं है, तो सीधे एमएसपी पर खरीदी करें, अन्यथा किसानों को सड़क पर उतरकर आंदोलन करना पड़ेगा।

कांग्रेस नेता जगदीश पाटीदार हतनारा का कहना है कि भावांतर सिर्फ किसानों को बेवकूफ बनाने की योजना है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि एमएसपी पर खरीदी हो और गांव की समितियों और सोसायटी के माध्यम से खरीदारी सुनिश्चित की जाए। मंडियों में भी आदेश होना चाहिए कि एमएसपी से नीचे कोई बोली नहीं लगे।

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