MP News: बेरोजगारों के साथ मजाक… मप्र में 25.68 लाख से अधिक हैं आकांक्षी युवा, सिर्फ 87 हजार को नौकरी देने सालभर में होंगी 2640 काउंसलिंग

Saroj kanwar
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MP News: मध्यप्रदेश में 25 लाख 68 हजार युवा अब तक रोजगार पोर्टल पर पंजीयन करवा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या ऐसे से युवाओं की है जो नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। ये आकांक्षी युवा सिर्फ परंपरागत डिग्रीधारी नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग, मैडिकल और मैनेजमेंट जैसे पेशेवर कोर्स करने वाले भी हैं। पोर्टल पर 86535 इंजीनियर, 4811 डॉक्टर और 18889 एमबीए डिग्रीधारी युवा पंजीकृत हैं। इसके अलावा फार्मेसी से 17354, पॉलीटेक्निक से 20496 और आईटीआई से 74831 युवा भी रोजगार की उम्मीद में सूचीबद्ध हैं। इन आकड़ों के बावजूद सरकार ने 2025-26 में सिर्फ 87 हजार युवाओं को किसी न किसी रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। करियर मार्गदर्शन के नाम पर प्रदेश के हर जिले में हर महीने 4-4 यानी सालभर में 2640 काउंसलिंग कार्यक्रम प्रस्तावित हैं, यानी हर जिले में औसतन हफ्ते में एक से भी कम करियर काउंसलिंग होगी।

प्रदेश में सबसे ज्यादा स्नातक युवा पंजीकृत

प्रदेश के रोजगार पोर्टल पर सबसे ज्यादा 8.30 लाख स्नातक युवा पंजीकृत हैं। यानी डिग्री अब न नौकरी की गारंटी है, न विशिष्टता की पहचान। 6.22 लाख बारहवीं और 1.76 लाख दसवीं पास युवा भी

नौकरी की आस में रजिस्टर्ड हैं। यानी ये कौशल विकास योजनाओं से नहीं जुड़ सके। वहीं 2.38 लाख पोस्टग्रेजुएट युवाओं का पंजीकरण बताता है कि सिर्फ उच्च शिक्षा भी रोजगार की गारंटी नहीं है।

रोजगार लक्ष्य में जिलों के बीच भारी अंतर

प्रदेश के 18 जिलों में सालभर का रोजगार लक्ष्य 1000 से भी कम रखा गया है। इनमें अलीराजपुर सबसे नीचे है, जहां सिर्फ 180 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य है। छिंदवाड़ा, पांढुर्णा और पन्ना (360), डिंडोरी (420), झाबुआ और निवाड़ी (480) जैसे आदिवासी और सीमांत जिले भी इसी सूची में हैं। इसके उलट, सागर (3900), नर्मदापुरम (3600), देवास (2400) और उज्जैन (1800) जैसे जिले टॉप पर हैं, जहां बड़ी संख्या में रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।

रोजगार पोर्टल पर 3 साल में आकांक्षी युवा घटे

30 जून 2023 को रोजगार पोर्टल पर 35.73 लाख आकांक्षी युवा पंजीबद्ध थे, जो एक साल बाद 2024 में घटकर 25.82 लाख रह गए और 30 जून 2025 तक यह संख्या और गिरकर 25.68 लाख रह गई। इस दौरान ओबीसी वर्ग में सर्वाधिक संख्या दर्ज रही, लेकिन 3 साल में वह भी 14.11 लाख से घटकर 10.46 लाख पर आ गया। सामान्य वर्ग में 9.73 लाख से घटकर 6.34 लाख, एससी वर्ग में 6.38 लाख से 4.69 लाख और एसटी में 5.49 लाख से घटकर 4.18 लाख दर्ज हुए।

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