Jamin Registry New Rules 2025 :जमीन रजिस्ट्री पर 4 नया नियम लागू! सरकार का फैसला रजिस्ट्री अब ऐसे होगी।

Saroj kanwar
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Jamin Registry New Rules 2025: भारत में जमीन की खरीद-बिक्री और रजिस्ट्री की प्रक्रिया हमेशा से जटिल और समय लेने वाली रही है। लोगों को कई बार तहसील और रजिस्ट्री कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। दलाल और बिचौलियों पर निर्भरता बढ़ जाती है और कई बार धोखाधड़ी की घटनाएं भी सामने आती हैं। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर भूमि रजिस्ट्री प्रणाली में बड़े सुधार किए हैं। साल 2025 में लागू किए गए नए नियम पूरी प्रक्रिया को डिजिटल, पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। ये बदलाव डिजिटल इंडिया मिशन के तहत भूमि सुधार कार्यक्रम का हिस्सा हैं।

पूरी तरह डिजिटल हुई रजिस्ट्री प्रक्रिया

नए नियमों के तहत सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब जमीन की रजिस्ट्री पूरी तरह से ऑनलाइन हो गई है। पहले जहां लोगों को सभी कागजी दस्तावेज लेकर रजिस्ट्री कार्यालय जाना पड़ता था और लंबी लाइनों में खड़ा रहना पड़ता था वहीं अब घर बैठे ही रजिस्ट्री की जा सकती है। हर राज्य ने अपना भूमि रजिस्ट्री पोर्टल बनाया है जहां नागरिक लॉगिन करके अपने सभी दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं। खरीदार और विक्रेता दोनों को इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर यानी ई-साइन से दस्तावेजों को सत्यापित करना होता है। यह ई-साइन आधार कार्ड से लिंक होता है जिससे प्रामाणिकता सुनिश्चित होती है। इस डिजिटल प्रक्रिया से समय की बहुत बचत होती है और पारदर्शिता भी बढ़ती है।

बायोमेट्रिक सत्यापन से सुरक्षा

धोखाधड़ी और फर्जी पहचान के माध्यम से जमीन हड़पने की घटनाओं को रोकने के लिए अब बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। रजिस्ट्री के समय खरीदार और विक्रेता दोनों को अपनी पहचान साबित करने के लिए फिंगरप्रिंट स्कैन या चेहरे की पहचान देनी होगी। यह प्रक्रिया आधार कार्ड से जुड़ी होती है और पूरी तरह सुरक्षित है। बायोमेट्रिक सत्यापन से यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी व्यक्ति किसी और के नाम पर या नकली दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति का लेनदेन नहीं कर सकता। पहले कई मामलों में देखा गया था कि लोगों की जमीनें बिना उनकी जानकारी के बेच दी जाती थीं या फर्जी हस्ताक्षर करके रजिस्ट्री करवा ली जाती थी। अब इस तकनीक से ऐसी समस्याएं लगभग समाप्त हो जाएंगी।

स्टाम्प शुल्क में पारदर्शिता

जमीन की रजिस्ट्री में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक थी स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क को लेकर भ्रम। अलग-अलग अधिकारी अलग-अलग राशि बताते थे और कई बार लोगों से अतिरिक्त पैसे वसूले जाते थे। अब सरकार ने एक मानकीकृत प्रणाली लागू की है जिसमें जमीन के क्षेत्रफल, स्थान और उपयोग के आधार पर शुल्क स्वचालित रूप से निर्धारित होता है। सभी राज्यों की वेबसाइट पर एक ऑनलाइन कैलकुलेटर उपलब्ध है जहां आप अपनी संपत्ति का विवरण डालकर तुरंत जान सकते हैं कि कितना स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी। यह राशि सीधे ऑनलाइन जमा करनी होती है इसलिए किसी भी प्रकार की नकद लेनदेन की गुंजाइश नहीं रहती। इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगती है।

रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण

पुरानी प्रणाली में सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि रजिस्ट्री होने के बाद भी नामांतरण यानी म्यूटेशन के लिए अलग से आवेदन करना पड़ता था। यह प्रक्रिया महीनों और कभी-कभी सालों तक चलती रहती थी। लोगों को बार-बार तहसील के चक्कर लगाने पड़ते थे। नए नियमों में सबसे बड़ा सुधार यह किया गया है कि अब रजिस्ट्री पूरी होते ही स्वचालित रूप से नामांतरण हो जाता है। जैसे ही आपकी रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी होगी और सभी शुल्क जमा हो जाएंगे, खरीदार का नाम भूमि अभिलेख यानी भूलेख पोर्टल पर अपने आप दर्ज हो जाएगा। आपको अलग से कोई आवेदन नहीं देना होगा और न ही किसी अधिकारी के पास जाना होगा। यह पूरी तरह से स्वचालित प्रक्रिया है जो कुछ ही घंटों में पूरी हो जाती है।

ऑनलाइन रजिस्ट्री कैसे करें

नई प्रणाली में रजिस्ट्री कराना बहुत आसान हो गया है। सबसे पहले अपने राज्य के भूमि रजिस्ट्री पोर्टल पर जाएं। उत्तर प्रदेश में igrsup.gov.in, महाराष्ट्र में igrmaharashtra.gov.in जैसे पोर्टल हैं। वेबसाइट पर नई रजिस्ट्री या प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का विकल्प चुनें। फिर खरीदार और विक्रेता दोनों का पूरा विवरण भरना होगा जैसे नाम, पता, आधार नंबर, मोबाइल नंबर आदि। इसके बाद संपत्ति से संबंधित सभी दस्तावेज जैसे बिक्री विलेख, खतौनी, नक्शा आदि स्कैन करके अपलोड करें। फिर कैलकुलेटर से स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की गणना करें और ऑनलाइन भुगतान करें। अब बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए निर्धारित केंद्र पर जाएं या कुछ राज्यों में घर बैठे भी यह सुविधा मिल रही है। अंत में ई-साइन के माध्यम से दस्तावेज पर हस्ताक्षर करें।

सरकार का उद्देश्य और लाभ

इन नए नियमों को लागू करने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य भूमि लेनदेन को सुरक्षित, पारदर्शी और आसान बनाना है। देश में जमीन से जुड़े विवादों की संख्या बहुत अधिक है और अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं। डिजिटल प्रणाली से इन विवादों में कमी आएगी क्योंकि सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रूप से ऑनलाइन संरक्षित रहेंगे। दलालों और बिचौलियों पर निर्भरता खत्म होगी। भ्रष्टाचार में कमी आएगी क्योंकि सभी भुगतान ऑनलाइन होंगे। लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि धोखाधड़ी की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी।

जागरूकता की आवश्यकता

हालांकि ये नए नियम बहुत फायदेमंद हैं लेकिन इनकी सफलता तभी संभव है जब लोग इनके बारे में जागरूक हों। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और बुजुर्गों को डिजिटल प्रक्रिया को समझने में कठिनाई हो सकती है। सरकार को चाहिए कि वह व्यापक प्रचार-प्रसार करे और लोगों को प्रशिक्षण दे। हर तहसील और ब्लॉक स्तर पर हेल्प डेस्क होनी चाहिए जहां लोग अपनी समस्याओं का समाधान पा सकें। साथ ही तकनीकी खामियों को भी दूर करना होगा ताकि सिस्टम सुचारू रूप से चले।

जमीन रजिस्ट्री में किए गए ये बदलाव भारत की भूमि प्रबंधन प्रणाली में एक बड़ा कदम हैं। डिजिटलीकरण, बायोमेट्रिक सत्यापन और स्वचालित नामांतरण से पूरी प्रक्रिया सरल, सुरक्षित और पारदर्शी हो गई है। हालांकि कार्यान्वयन में चुनौतियां हो सकती हैं लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह सुधार बहुत लाभकारी सिद्ध होंगे।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से तैयार किया गया है। भूमि रजिस्ट्री के नियम और प्रक्रिया विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हो सकती है। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए कृपया अपने राज्य के राजस्व विभाग या भूमि रजिस्ट्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट देखें। किसी भी संपत्ति लेनदेन से पहले कानूनी सलाह अवश्य लें। यह लेख किसी कानूनी परामर्श का स्थान नहीं लेता।

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