बैंक आपके खाते में जमा पैसे और ट्रांजैक्शन स्टेटस की जानकारी इनकम टैक्स ऑफिस के साथ शेयर करता है । लेकिन क्या आप ऐसे तीन ट्रांजैक्शन के बारे में जानते हैं जिस पर आयकर विभाग की पैनी नजर रहती है। ऐसे ट्रांजैक्शन को इनकम टैक्स हमेशा गंभीरता लेते हैं ऐसे में अगर आपका जवाब नहीं है तो चलिए जानते है इस खबर में।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के माने तो किसी अकाउंट बॉर्डर की सेविंग बैंक खाते में 10 लाख से अधिक कैश डिपॉजिट है तो हर महीने 3 महीने में सेविंग बैंक में अच्छा इंटरेस्ट कमा लेते हैं तो आयकर विभाग से अकाउंट पर सीधी नजर रखता है। आयकर विभाग हमेशा से इस बात का ख्याल रखना है कि संबंधित अकाउंट में आय के ऐसे कितने स्रोत है जिनका ब्यौरा बैंक के पास नहीं है।
50 लाख से ज्यादा कैश डिपॉजिट
यदि किसी करंट अकाउंट में 50 लख रुपए से अधिक का डिपॉजिट होता है तो बैंक इस ट्रांजैक्शन की जानकारी आयकर विभाग को भेजता है। उसी तरह अगर क्रेडिट कार्ड से ₹100000 का बिल का कैश में भुगतान किया जाता है तो भी बैंक ये जानकारीआयकर विभाग के साथ शेयर करता है। यह कदम काले धन और कर चोरी को रोकने के लिए उठाए गए हैं। इस तरह की जानकारी शेयर करने से आयकर विभाग के लेनदेन की निगरानी करनी और आवश्यक कार्रवाई करने में मदद मिलती है।
10 लख रुपए से ज्यादाकी FD
भारतीय बैंकों को अपने ग्राहकों की फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की जानकारी इनकम टैक्स प्रोजेक्ट को डिपार्टमेंट को देने का नियम है। यदि कोई व्यक्ति एक फाइनेंशियल ईयर में 10 LAAKH रुपए से अधिक पेमेंट प्राप्त करता है तो बैंक इसकी जानकारी इनकम टैक्स विभागको देगा।
इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति एक ही अकाउंट नंबर पर 10 लाख रुपये से अधिक एफडी खुलवाता है, तो बैंक इसकी जानकारी भी इनकम टैक्स विभाग को देगा. बैंक फॉर्म 61A के तहत ये जानकारी इनकम टैक्स को देता है. 10 लाख रुपये से ज्यादा की एफडी पर आप जो इंटरेस्ट कमाते हैं, उस पर भी इनकम टैक्स की नजर रहती है।