Income Tax New Rules: आजकल बहुत से लोग अपनी पत्नी या परिवारजनों के साथ मिलकर संयुक्त फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं। यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है लेकिन इसके साथ जुड़े इनकम टैक्स नियमों की जानकारी न होना भारी पड़ सकता है।
यदि आप भी संयुक्त एफडी में निवेश कर रहे हैं तो आपको इनकम टैक्स विभाग के नए नियमों और बेनामी लेनदेन के कानूनों को समझना जरूरी है। गलत तरीके से एफडी करने पर आपको टैक्स नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज और टैक्स नियम
फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाला ब्याज पूर्णतः टैक्सेबल आय माना जाता है। आयकर विभाग के अनुसार एफडी पर मिलने वाले ब्याज को ‘आय से ब्याज’ श्रेणी में दिखाना अनिवार्य है। यह नियम सभी प्रकार की फिक्स्ड डिपॉजिट पर लागू होता है।
टैक्स विभाग सबसे पहले यह देखता है कि एफडी में पैसा किसने लगाया है और किसके नाम पर खाता है। वित्तीय वर्ष में यदि एफडी ब्याज की कुल आय ₹10,000 से अधिक है तो बैंक स्वतः टीडीएस काटता है। इसलिए समय पर सही टैक्स रिटर्न भरना आवश्यक है।
बेनामी लेनदेन क्या होता है और क्यों खतरनाक है
बेनामी लेनदेन का मतलब यह है कि आप अपनी संपत्ति या निवेश को किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर दिखाते हैं। उदाहरण के लिए पति का पैसा है लेकिन एफडी पत्नी के नाम पर है। इनकम टैक्स विभाग इसे गैर-कानूनी मानता है।
बेनामी संपत्ति अधिनियम 2016 के तहत इस प्रकार के लेनदेन पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। टैक्स विभाग वास्तविक आय के स्रोत की जांच करता है और यदि पाया जाता है कि एफडी में लगाया गया पैसा किसी और का है तो यह बेनामी माना जाता है।
इनकम टैक्स नोटिस कब और क्यों आता है
जब एफडी में निवेशित पैसा और खाताधारक का नाम अलग-अलग होता है तो टैक्स विभाग को संदेह होता है। विशेषकर जब पति की आय से पैसा आता है लेकिन एफडी पत्नी के नाम पर खुलती है तो यह लाल झंडी माना जाता है।
टैक्स अधिकारी आय के स्रोत की गहरी जांच करते हैं। यदि आपके पास संयुक्त एफडी के लिए उचित दस्तावेज और स्पष्टीकरण नहीं है तो नोटिस आना तय है। ऐसे मामलों में भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
फॉर्म 15G और 15H का सही उपयोग
फॉर्म 15G (60 वर्ष से कम आयु के लिए) और फॉर्म 15H (60 वर्ष से अधिक आयु के लिए) टीडीएस बचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। लेकिन यह फॉर्म तभी भरें जब आपकी कुल आय टैक्स सीमा से कम हो। गलत जानकारी देना टैक्स चोरी माना जाता है
यदि आपकी वार्षिक आय टैक्स स्लैब के अंदर है तो बैंक में यह फॉर्म जमा करके टीडीएस कटौती से बच सकते हैं। परंतु वर्ष के अंत में आयकर रिटर्न में एफडी ब्याज की पूरी आय दिखाना अनिवार्य है। फॉर्म भरते समय सत्यता बनाए रखें।
संयुक्त एफडी में सही तरीका क्या है
संयुक्त फिक्स्ड डिपॉजिट खोलते समय दोनों खाताधारकों की आय का स्रोत स्पष्ट होना चाहिए। यदि दोनों पति-पत्नी कामकाजी हैं तो अपनी-अपनी आय के अनुपात में एफडी राशि का योगदान करें। सभी दस्तावेज सही तरीके से रखें और आय का प्रमाण तैयार रखें।
एफडी खोलते समय नॉमिनेशन सुविधा का उपयोग करें और दोनों के हस्ताक्षर को जरूरी बनाएं। टैक्स रिटर्न भरते समय ब्याज आय को सही अनुपात में बांटकर दिखाएं। इससे भविष्य में किसी प्रकार की कानूनी समस्या से बचा जा सकता है।
टैक्स नोटिस से कैसे बचें
टैक्स नोटिस से बचने के लिए सबसे पहले अपनी एफडी का पूरा रिकॉर्ड रखें। पैसे का स्रोत, बैंक स्टेटमेंट, और आय के प्रमाण सभी व्यवस्थित रखें। संयुक्त एफडी में दोनों की आय का योगदान स्पष्ट रूप से दिखाएं।
आयकर रिटर्न भरते समय एफडी ब्याज को सही तरीके से दिखाएं। यदि आपको टैक्स नोटिस मिलता है तो घबराएं नहीं बल्कि सभी आवश्यक दस्तावेज के साथ उचित जवाब दें। कानूनी सलाह लेना भी बेहतर विकल्प है।
संयुक्त एफडी के फायदे और सावधानियां
संयुक्त फिक्स्ड डिपॉजिट में टैक्स लाभ के साथ-साथ वित्तीय सुरक्षा भी मिलती है। दोनों खाताधारक अपने-अपने टैक्स स्लैब का फायदा उठा सकते हैं। यदि एक व्यक्ति की आय कम है तो उसके नाम पर अधिक एफडी करके टैक्स बचाया जा सकता है।
लेकिन यह सब कानूनी तरीके से होना चाहिए। किसी भी प्रकार का बेनामी लेनदेन न करें। हमेशा सही दस्तावेज रखें और आय के स्रोत को प्रमाणित करने के लिए तैयार रहें। सही योजना और कानूनी सलाह से संयुक्त एफडी एक बेहतरीन निवेश विकल्प है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य से दी गई है। वित्तीय निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। टैक्स नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए नवीनतम अपडेट के लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट देखें।