APP को खरीदकर इस तरह से सब्सक्रिप्शन के जाल में फंसा रही है कंपनियां ,यहां जाने क्यों है सरकार इससे चिंतित

Saroj kanwar
3 Min Read

साइबर सिक्योरिटी और कंज्यूमर सेफ्टी हमेशा से दुनिया भर के देशों के लिए एक है। मुद्दा ऐसे में सरकार लगातार इसमें लगी रहती है और कैसे लोगों को सुरक्षित रखा जाए हाल ही में एक रिपोर्ट सामने है कि 67 परसेंट कंज्यूमर सब्सक्रिप्शन ट्रेड में फंसे हैं। आपको बता दे की हाल ही में लोकल सर्कल्स ने एक सर्वे किया जिसमें में शामिल लगभग 67% कंज्यूमर्स ने एप्स सॉफ्टवेयर-ए-ए- सर्विस प्लेटफार्म से कोई प्रोडक्ट सर्विस खरीदा है तो वह अक्सर एक सब्सक्रिप्शन रेट बन जाता है। इसके अलावा 71 परसेंट लोगों ने बताया कि उन्हें हिडन चार्ज देना पड़ा जिसे खरीदने के बाद देना पड़ा।

हजारों लोग बने सर्वे का हिस्सा

लोकल सर्कल्स के सर्वे में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। रिपोर्ट की माने तो भारत के 331 जिलों के एप और सॉफ्टवेयर सब्सक्रिप्शन यूजर्स ने लगभग 44000 से ज्यादा रिएक्शन आए हैं।

सरकार ने 13 तरह के डार्क पैटर्न की पहचान की है जिसमें फॉल्स अरजेंसी , बास्केटस्नैकिंग , कंफर्म सेविंग , ऑर्सिड एक्शन , सब्सक्रिप्शन ट्रेप , इंटरफेस इंटरफ्रेंस , बैट और स्विच ,ड्रिप प्राइसिंग ,खराब विज्ञापन रैंकिंग शामिल है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि saas बिलिंग और दुष्ट में अलवर को डार्क पैटर्न के रूप में पहचान गया है।

इसका निष्कर्ष डार्क पैटर्न से संबंधित है। यह वेबसाइटों और एप्स द्वारा उपयोग की जाने वाली तरकीबे हैं जो कंज्यूमर्स को उत्पाद या सेवाएं खरीदने के लिए प्रेरित करती है।

AI भी जिम्मेदार

रिपोर्ट में भी पता चला है कि इस गहन समस्या के लिए भी एआई बहुत हद तक जिम्मेदार है। आपको बता दें कि AI चैटबोट एप्स की नई पीढ़ी यूजर्स जिसको महंगी सर्विस की ओर ले जा रही है।

अब देखना है कि सर्वे एजेंसी कबइन निष्कर्षो को सरकार के सामने पेश करेगी । इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है स्कैमर्स चैटजीपीटीके के सॉफ्टवेयर के साथ आने वाले ऐप को स्टोर पर ला रहे हैं। इन एप्स में अक्सर आपको हाई सब्सक्रिप्शन भी देनी होती है।

सर्वे में शामिल लगभग 50% कंज्यूमर ने ‘बैट और स्विच ‘डार्क पैटर्न का अनुभव किया। वहीं लगभग 25% कंज्यूमर्स ने कुछ ऐप्स में मैलवेयर का भी अनुभव किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि डार्क वेब पर 815 मिलियन का आधार डाटा बिक्री पर है।

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *