बच्चे की परवरिश उसके व्यक्तित्व को शेप देती है इसमें कोई दोराय नहीं है कि जिस तरह माता-पिता अपने बच्चों को पालते हैं उस बच्चे का हर काम ,व्यवहार और आदत प्रभावित होती है। कई बार परवरिश की कुछ गलतियां या कहे भूल के चलते बच्चे इमोशनली कमजोर हो जाते हैं। बच्चे बात-बात पर रो सकते हैं ,गुस्सा हो जाते हैं फिर इमोशंस पर काबू नहीं रख पाते हैं। देखा जाए जैसे बहुत से लोग भी इमोशनल स्ट्रांग नहीं होते। लेकिन यदि बचपन से ही बच्चे की इमोशंस पर ध्यान दिया जाए तो और बच्चे की छोटी-मोटी बातों पर गौर किया जाए तो माता-पिता बच्चों को इमोशनल स्ट्रांग बना सकते हैं।
कैसे बनाया बच्चे को इमोशनली स्ट्रांग
माता-पिता को ये बात र ध्यान में रखना जरूरी है कि वह बच्चे की फिलिंग्स की कदर करें। अगर बच्चा किसी बात से डरता घबराता या फिर अच्छा महसूस नहीं करता है तो उसे ज्यादा डांटने या कुछ कठोर करने की बजाय प्यार से समझाने की कोशिश करे उसे इन फीलिंग से उभरने का मौका दें।
बच्चों को जिन बातों से परेशानी होती है या कहे रोना आता है उन बातों को सुन माता-पिता बच्चों की बात सुनकर प्रोबलम सॉल्विंग नजरिया अपनाकर बच्चों की परेशानी दूर कर सकते हैं। पेरेंट्स का बच्चों को ये समझाना जरूरी है की गलती सुधारी जा सकती है। रोना मुश्किल का हल नहीं होता।
कभी के बच्चे का रोना देना भी जरूरी होता है ज्यादा जितना ज्यादा बच्चे की भावनाओं को दबाने की कोशिश की जाती है उतनी उसकी भावनायते आहत होती है। आपने देखा होगा कि जब बच्चे को यह कहा जाता है कि हर बात पर रोना क्यों शुरू कर देते हैं ,बड़े हो जाओ, समझदार बनो तो बच्चे का रोना और ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए इस पर चीखने चिल्लाने व उससे तंग होने की बजाय बच्चे िर उसकी भावनाओं को समझे।
घर में डर माहौल माहौल न हो। उसका खास ध्यान रखे। कई बार बच्चे हर छोटी बड़ी बात इसलिए डरने लगते है क्योंकि वो डर जाते हैं। आपके बच्चे से कोई गलती हो जाती है तो उसे ऐसा लगता है कि उसे सजा मिलेगी ,डांट पड़ेगी या फिर किसी का मूड खराब हो जाएगा ,तो संभावना है कि बच्चा रोना शुरू कर देगा बच्चा इमोशनली स्ट्रांग बने इसके लिए ध्यान दें कि घर का माहौल डरावना ना हो।