महिलाओं में प्रजनन का स्तर उनके किशोरावस्था और 20 से 25 की उम्र में सबसे ज्यादा होता है । 30 की उम्र में आते आते यह स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है। वैसे ज्यादातर महिलाओं को ही दशक की शुरुआती दौर में कोई खास परेशानी नहीं हो महसूस होती यहां तक की 35 की उम्र के बाद भी एक साल के अंदर गर्भधारण की संभावना होती है। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है इसकी क्वालिटी कम होने लगती हैएग्स की क्वालिटी घटने लगती है ।
35 की उम्र के बाद गर्भावस्था से जुड़े जोखिम बढ़ जाते हैं। डॉक्टर मनीषा रंजन, कंसल्टेंट- प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ, मदरहुड हॉस्पिटल्स, नोएडा का कहना है कि ज्यादा उम्र में माँ बनने वाली महिलाओं में गर्भपात ,स्टीलबर्थ जन्मजात डायबिटीज ,प्रीएक्लेमिसिया और कम वजन वाले शिशु को जन्म देने का खतरा काफी ज्यादा होता है ।
बर्थ से जुड़ी परेशानी और सिजेरियन बर्थ में भी काफी ज्यादा देखने को मिलती है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान ब्लड क्लॉटिंग खास कर नसों में थ्रांबोसिस होने का खतरा खतरा रहता है। 35 की उम्र पार करने के बाद यह समस्याएं और बढ़ जाती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस उम्र में माँ बनना पॉसिबल नहीं है। 35 की उम्र के बाद सिर्फ प्रेगनेंसी के लिए कुछ बातों पर खास तौर से ध्यान देने को कहा।
इसके बारे में जानेंगे
इस उम्र में कंसीव करने से पहले एक बार डॉक्टर से कंसल्ट कर ले जो आपको बहुत कुछ जरूरी जांचो की सलाह दे सकते हैं और उसके आधार पर गाइड कर सकते हैं कि इस समय में आपकी बॉडी मां बनने के लिए कितनी रेडी है।
एक और चीज जरूरी चीज प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए एसआईटी की जांच करवाना अहम माना जाता है। कंसीव करने के लिए बॉडी को हेल्दी रखना जरूरी है। इसके लिए बैलेंस डाइट ले ,रोजाना एक्सरसाइज कंट्रोल करें। यह वजन को बेहतर बनाने और गर्भधारण की बेहतर परिणाम देने में अहम भूमिका निभाता है ब्लड शुगर के साथ कंट्रोल वजन कंट्रोल रखने से 35 की उम्र के बाद भी गर्भधारण करना आसान होता है।
35 की उम्र के बाद किस तरह देखभाल की जरूरत होती है।
35 की उम्र के बाद गर्भधारण करना काफी चुनौती पूर्ण होता है। आपको बेहद सावधानी और संभाल कदकर म बढ़ाना पड़ता है इस दौरान इन बातों पर खास तौर से ध्यान देना जरूरी है।
अनुवांशिक परामर्श
अनुवांशिक परामर्श की जरूरत तब और ज्यादा होती है जब क्रोमोसोम से जुड़ी ऐसा मान्यताओं का या फिर जेनेटिक डिसऑर्डर का पारिवारिक इतिहास रहा हो आजकल काफी सारे लोग किसी भी प्रकार की खतरे से बचने के लिए नॉर्मली अनुवांशिक परामर्श लेते हैं।
गर्भधारण पूर्व केयर
मां तथा विकसित होते बच्चे की सेहत पर निगरानी रखने के लिए समय-समय पर अपॉइंटमेंट के साथ नियमित रूप से जांच में परीक्षण करवाना बहुत जरूरी है।
पोषण
फोलिक एसिड , आयरन , कैल्शियम और अन्य विटामिन मिनरल से भरपूर डाइट लेना और उनके विकास के लिएमह्त्वपूर्ण है।
एक्सरसाइज
नियमित रूप से हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करने से गर्भावस्था की कुछ सामान्य समस्याओं को कम करने और मांसपेशियों के साथ जोड़ों के दर्द को दूर करने में सहायक है।