बिजली की जरूरत तो आज के समय तेजी से बढ़ रही है जिसके साथ ही बिजली का बिल भी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में इन जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजली बिल को कम करने के लिए सोलर पैनल की स्थापना की जाती है। सोलर पैनल पर्यावरण के अनुकूल सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन करते हैं। ऐसे में इको फ्रेंडली तरीके से बिजली को प्राप्त किया जाता है एवं बिजली की आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है।
सोलर सिस्टम में सोलर पैनल के द्वारा सौर ऊर्जा के से किसी के बिजली का उत्पादन किया जाता है। सोलर पैनल डीसी के रूप में बिजली का उत्पादन करते हैं डीसी को ac में बदलने के लिए सोलर इनवर्टर सिस्टम में जोड़ते हैं। सोलर पैनल से बनने वाले बिजली को स्टोर करने के लिए सोलर सिस्टम में बैटरी जोड़ी जाती है। इनके अतिरिक्त सोलर सिस्टम में पैनल से प्राप्त बिजली को कंट्रोल करने के लिए सोलर चार्ज कंट्रोलर प्रयोग किया जाता है। घर पर सोलर पैनल को स्थापित करने के लिए कुछ कारक होते हैं।
घर के लिए सोलर पैनल
घर पर सोलर पैनल लगाने से पहले आपको निम्नन जानकारी होनी चाहिए
बिजली का लोड
घर में बिजली के महीने का लोड आप इलेक्ट्रिक बिल कैसे देख सकते हैं। इसलिए इलेक्ट्रिक मीटर की सहायता से भी बिजली के लोड की गणना की जाती है। घर में उपयोग की जाने वाले उपकरणों में रेटिंग से भी बिजली के लोड की जानकारी प्राप्त करता है।
सोलर पैनल के लिए स्थान
सोलर पैनल को स्थापित करने के लिए पर्याप्त स्थान का प्राप्त होना आवश्यक है जिससे सही क्षमता के सोलर पैनल लगा सकते हैं। यदि आपके घर में बिजली का लोड 8 से 10 यूनिट तक रहता है तो आप 2 किलो वाट क्षमता के सोलर पैनल को लगा सकते हैं।
सोलर पैनल के प्रकार
सोलर पैनल मुख्यतः पालीक्रिस्टलाइन, मोनोक्रिस्टलाइन एवं बाइफेशियल प्रकार के होते हैं, उपभोक्ता अपने बजट के अनुसार इन सोलर पैनल का चयन कर सकते हैं।
सोलर ब्रांड
बाजार में सोलर पैनल के अनेक ब्रांड उपलब्ध हैं, जिनमें से आप विश्वसनीय ब्रांड के उपकरणों को खरीद कर एक्सपर्ट की सहायता से स्थापित कर सकते हैं।
यदि आपके घर में बिजली का लोड 8 से 10 यूनिट प्रतिदिन रहता है तो आप 2 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल को लगा सकते हैं, 1 किलोवाट के सोलर पैनल से एक दिन में 4-5 यूनिट बिजली बनाई जाती है।