हनीमून सिस्टाइटिस एक प्रकार की यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन है यह आमतौर पर महिलाओं में यौन संबंध बनाने के बाद देखने को मिलता है। इन्फेक्शन में से ब्लैडर में जलन और सूजन पैदा हो जाती है जिससे पेशाब करने में काफी जलन और बार-बार पेशाब आने की समस्या होने लगती है । रिपोर्ट के अनुसार ,इसका नाम हनीमून सिस्टाइटिस इसलिए पड़ा है क्योंकि यह समस्या आमतौर पर न्यूली मैरिड महिलाओं को अधिक देखी जाती है जो शादी के बाद सेक्शुअली एक्टिव होती है हालांकि यह किसी भी उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है।
यौन संबंध के दौरान बैक्टीरिया यूरेथ्रा के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं इससे इंफेक्शन हो जाते हैं। हनीमून सिस्टाइटिस के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। यदि संक्रमण का समय पर इलाज न किया जाए तो एयह गुर्दो तक फैल सकता और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। हनीमून सिस्टाइटिस का इलाज आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों में उपलब्ध है। घरेलू उपाय और स्वच्छता अपना कर इसे शुरुआत में रोका जा सकता है। आज हम आपको बताएंगे इससे जुडी सारी जानकारी।
हनीमून सिस्टाइटिस के लक्षण
हनीमून सिस्टाइटिस के लक्षण आम तौर पर यौन संबंध बनाने के कुछ घंटे या एक-दो दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। बार-बार पेशाब आना ,पेशाब करने में जलन ,पेट के निचले हिस्से में दर्द ,मूत्र में खून या बदबू थकान व कमजोरी इसके आम लक्षण हनीमून सिस्टाइटिस से पीड़ित महिलाओं को बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है लेकिन हर बार बहुत कम मात्रा में इस पेशाब आता है और पेशाब करते समय जलन या दर्द महसूस होता है इस इन्फेक्शन के बाद पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है।
हनीमू सिस्टाइटिस के मुख्य कारण
हनीमून सिस्टाइटिस के पीछे के कई होते हैं ।बार-बार या असुरक्षित यौन संबंध बनाने से यूरेथ्रा में बैक्टीरिया प्रवेश कर जाते हैं। कई बार कुछ महिलाएं गर्भनिरोधक उपाय करती हैजिसमें स्पर्मिसाइडल जेल या डायाफ्राम का उपयोग किया जाता है। इस उपाय से भी बैक्टीरिया को बढ़ावा मिल सकता है।यौन संबंध बनाने से पहले या बाद में अगर साफ सफाई का ध्यान ना रखा जाए इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। वहीं कुछ महिलाओं को यूरेथ्रा की संरचना ही ऐसी होती जिससे बैक्टीरिया आसानी से प्रवेश कर जाते हैं।
हनीमूनसिस्टाइटिस का इलाज
हनीमून सिस्टाइटिस इलाज जल्द से जल्द करना जरूरी है वर्ण ये गंभीर रूप ले सकता है। इसके इलाज के अक्सर डॉक्टर एंटीबायोटिक की सलाह देते हैं। पेशाब में जलन और दर्द को कम करने के लिए पेन किलर भी दी जाती है। इस दौरान होने वाले दर्द को कम करने की सबसे जरूरी है दिन में कम से कम 8 से 10 ग्लास पानी पीना जिससे बैक्टीरिया आसानी शरीर से बाहर निकल जाए। कुछ रिसर्च के अनुसार ,कैंब्रिज जूस पीने से बैक्टीरिया की संक्रमण खतरा कम होता है। वहीं दही और अन्य प्रोबायोटिक्स खाने अच्छी बैक्टीरिया बढ़ते हैं इसे इन्फेक्शन को कम करने में मदद मिलती है।
हनीमूसिस्टाइटिस संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान जरूरी है। यौन संबंध से पहले और बाद में रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को हल्के हल्के गुनगुने पानी से धोना बहुत बेहतर होगा एवं संबंध बनाने के बाद महिलाओं को तुरंत पेशाब करना चाहिए इससे बैक्टीरिया बाहर निकल जाते और इन्फेक्शन का खतरा कम होता है। महिलाओं को अगर गर्भनिरोधक को इस्तेमाल करते हैं। डॉक्टर की सलाह से सही गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करेंजैसा कि हमने बताया शरीर को हाइड्रेटेड रखने से इन्फेक्शन का खतरा कम होता है इसलिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।