Haryana BPL Card Update: हरियाणा सरकार के परिवार पहचान पत्र (PPP) सिस्टम में एक नया मामला सामने आया है जिसमें दोपहिया वाहन होने के कारण लोगों के बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) राशन कार्ड कट रहे हैं। पहले सिर्फ चार पहिया वाहन को बीपीएल की पात्रता से बाहर करने का कारण माना जाता था, लेकिन अब ऐसा ही नियम दोपहिया वाहनों पर भी लागू होता दिख रहा है।
आय बढ़ी तो पेंशन भी बंद, दोहरी परेशानी में लोग
PPP में दर्ज आय बढ़ने के चलते बुजुर्गों को बुढ़ापा पेंशन भी नहीं मिल रही है। ऐसे में आम लोग, खासकर गरीब परिवारों के सदस्य नगर परिषद और आरटीओ दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इस तकनीकी जाल ने उन परिवारों को गहरी समस्या में डाल दिया है जिनकी असली आय इसके उलट है।
एक्टिवा बनी राशन कार्ड कटने की वजह
अंबाला के गुरु नानक नगर निवासी सुधीर कुमार का मामला इसकी मिसाल बनकर सामने आया है। सुधीर ने बताया कि उनके पास एक Activa स्कूटी है। लेकिन उनके PPP में एक अतिरिक्त एक्टिवा भी दर्ज हो गई जो किसी आशा देवी के नाम पर है। इस कारण उनका बीपीएल राशन कार्ड कट गया है।
कागजी कार्यवाही के फेर में उलझे लोग
राशन कार्ड कटने की जानकारी लेने के लिए सुधीर नगर परिषद अंबाला सदर स्थित परिवार पहचान पत्र केंद्र पहुंचे। वहां से उन्हें आरटीओ कार्यालय भेज दिया गया, यह कहकर कि उन्हें Activa की NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेनी होगी और फिर उसे CSC केंद्र के माध्यम से अपलोड कराना पड़ेगा। यानी गलत डेटा हटाने के लिए भी लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
राहत के नाम पर नहीं दिख रही कोई व्यवस्था
इस समय बीपीएल कार्ड धारकों को किसी तरह की सीधी राहत नहीं मिल रही है। गलत जानकारी या फर्जी तरीके से PPP में जुड़ी संपत्तियों को हटाने के लिए कोई सुगम प्रक्रिया नहीं है। जिससे लोग बार-बार एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय दौड़ते नजर आ रहे हैं।
डेटा एंट्री में गड़बड़ी बन रही बड़ी चुनौती
PPP डेटा में हुई गड़बड़ियों के चलते ऐसे कई परिवार प्रभावित हो रहे हैं। जिन्हें वास्तव में सरकार की मदद की ज़रूरत है। चाहे वह राशन कार्ड हो या बुजुर्ग पेंशन हर योजना अब PPP से जुड़ी है और अगर उसमें कोई त्रुटि है तो योजना से बाहर होना तय माना जा रहा है।
क्या कहती है नीति और क्या हो रहा है ज़मीनी स्तर पर?
सरकार ने परिवार पहचान पत्र के जरिए योजनाओं की पात्रता तय करने की पारदर्शी प्रणाली बनाने की कोशिश की है। लेकिन जमीनी स्तर पर डिजिटल डेटा की शुद्धता एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। लोगों की संपत्ति या वाहन संबंधी जानकारी गलत जुड़ने पर उनका हक छिन रहा है।
सुधार की मांग तेज, लेकिन प्रक्रिया लंबी
अंबाला जैसे शहरों में लोगों की मांग है कि PPP डेटा में सुधार की प्रक्रिया आसान की जाए। साथ ही विभागीय स्तर पर स्थायी हेल्प डेस्क की स्थापना की जाए, जहां पर लोग तुरंत गलती सुधार सकें और NOC जैसे झंझटों से बचा जा सके।