GST सुधारों से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 5 साल तक मुआवजे की मांग, इन राज्यों ने मोदी सरकार से किया अनुरोध

Saroj kanwar
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GST Reform: जीएसटी सुधार के तहत प्रस्तावित दरों में कमी से हर साल 2 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है। इस संदर्भ में विपक्ष शासित राज्यों ने केंद्र से अगले 5 साल तक मुआवजा देने की मांग की है। हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के मंत्रियों ने जीएसटी दरों में कटौती के बाद व्यापारों द्वारा मुनाफाखोरी को रोकने के लिए एक तंत्र बनाने की आवश्यकता जताई है, ताकि इसका लाभ आम जनता तक पहुंच सके।

राज्यों का यह भी सुझाव है कि वर्तमान में लागू सेस चार्ज को बनाए रखा जाए और प्रस्तावित 40 प्रतिशत टैक्स स्लैब के अलावा, तंबाकू और लग्जरी वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाए। इन शुल्कों से आने वाली राशि को राज्यों में वितरित करने का प्रस्ताव रखा गया है। राज्यों ने यह भी मांग की कि आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की जाए, जो 3 और 4 सितंबर को होगी।

केंद्र ने जीएसटी में दो नए स्लैब, 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत, बनाने का सुझाव दिया है। वर्तमान में जीएसटी में चार स्लैब—5, 12, 18, और 28 प्रतिशत हैं।

कर्नाटक के वित्त मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने कहा कि राज्यों को 15-20 प्रतिशत तक जीएसटी राजस्व में कमी का सामना करना पड़ सकता है। उनका मानना है कि अगर यह हानि 20 प्रतिशत तक पहुंची, तो राज्यों के वित्तीय ढांचे पर गंभीर असर पड़ेगा। इस कारण से, उन्होंने केंद्र से 5 साल के लिए मुआवजे की मांग की है, जिसे आवश्यकता के अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है।

तेलंगाना के वित्त मंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने बताया कि इस बदलाव से तेलंगाना को सालाना 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने केंद्र से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि राज्यों को इस नुकसान की उचित भरपाई की जाए।

राज्यों ने यह भी सुझाव दिया कि जीएसटी से जुड़े राजस्व संरक्षण के लिए 2024-25 को आधार वर्ष माना जाए और राज्यों के राजस्व को 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर से संरक्षित किया जाए।

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