Girl School Free Education :टिचर्स की बेटियों को मिलेगी मुफ्त पढ़ाई की सुविधा, OBC स्कूलों में लागू हुआ बड़ा बदलाव

Saroj kanwar
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Girl School Free Education: राज्य सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कन्या आवासीय प्लस-टू विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय लिया है। अब इन विद्यालयों में पदस्थापित प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों और कर्मचारियों की बेटियों को उसी विद्यालय में निशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान की जाएगी।

अब शिक्षकों की बेटियां भी रहेंगी स्कूल परिसर में

इन विद्यालयों में पदस्थापित कर्मचारियों के लिए परिसर में रहना अनिवार्य होता है। कई बार यह देखा गया है कि कर्मचारी परिवार से दूर रहते हैं, जिससे उनकी बेटियों की शिक्षा और देखरेख पर असर पड़ता है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने यह कदम उठाया है।

पहले नहीं था बेटियों के लिए कोई विशेष प्रविधान

इससे पहले तक इन आवासीय विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की बेटियों के नामांकन के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं था। इस कारण से कई कर्मचारी अपनी बेटियों को दूर के विद्यालयों में भेजते थे, जिससे बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई को लेकर चिंताएं बनी रहती थीं।

अब नियमावली में हुआ बदलाव

विभाग ने अपनी संचालन नियमावली में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया है कि अब पदस्थापित शिक्षक या कर्मचारी की बेटी उसी OBC कन्या आवासीय प्लस-टू विद्यालय में नामांकन ले सकती है, जहां उसके माता-पिता कार्यरत हैं। यह प्रावधान ऐच्छिक होगा, न कि बाध्यकारी।

जाति की शर्त नहीं होगी लागू

नई व्यवस्था के तहत एक और बड़ा बदलाव यह है कि शिक्षकों और कर्मचारियों की बेटियों के लिए बीसी-I या बीसी-II (OBC) जाति प्रमाणपत्र की अनिवार्यता नहीं होगी। इससे सभी जातियों के कर्मचारियों की बेटियां इस सुविधा का लाभ ले सकेंगी।

रहने और देखभाल की जिम्मेदारी माता-पिता की होगी

हालांकि बेटियों को विद्यालय परिसर में आवासीय सुविधा मिलेगी, लेकिन उनके भोजन और कपड़ों की जिम्मेदारी उनके माता-पिता की होगी। वे अपनी बेटियों को आवासीय क्वार्टर में साथ रख सकेंगे, जिससे उनका सर्वांगीण विकास बेहतर ढंग से हो सके।

इस फैसले से क्या होगा लाभ?

  • दूर-दराज के क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों की बेटियों को अब शिक्षा से वंचित नहीं रहना पड़ेगा।
  • शिक्षकों और कर्मचारियों को मानसिक राहत मिलेगी क्योंकि अब उनकी बेटियां साथ में रह सकेंगी।
  • बेटियों की शिक्षा में नियमितता आएगी और स्कूल का माहौल भी लाभदायक होगा।
  • यह कदम महिला सशक्तिकरण और बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देगा।
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