Gareeb Rath Name Change :इस ट्रेन का नाम बदलने की उठी माँग, पीएम मोदी को लिखी गई चिट्ठी

Saroj kanwar
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Gareeb Rath Name Change: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने केंद्र सरकार को एक अहम प्रस्ताव भेजा है. इस प्रस्ताव में पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘महाराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन’ रखने की सिफारिश की गई है. यह सिफारिश रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे गए एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से की गई है.

महाराजा अग्रसेन को सम्मान देने की अपील

मुख्यमंत्री के पत्र में कहा गया है कि महाराजा अग्रसेन सामाजिक न्याय, आर्थिक दूरदर्शिता, और सामुदायिक कल्याण के प्रतीक रहे हैं. उनका योगदान दिल्ली की सामाजिक-आर्थिक पहचान में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. इस नाम परिवर्तन से न सिर्फ उनकी विरासत को उचित सम्मान मिलेगा, बल्कि यह कदम दिल्लीवासियों की भावनाओं के अनुरूप भी होगा.

क्या है पुरानी दिल्ली स्टेशन का ऐतिहासिक महत्व?

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन भारत के सबसे पुराने और व्यस्ततम स्टेशनों में से एक है. पहले इसे दिल्ली जंक्शन के नाम से जाना जाता था और यह 1864 में अस्तित्व में आया था. वर्तमान में यह स्टेशन हर दिन हजारों यात्रियों की आवाजाही का केंद्र है. ऐसे में इसका नाम बदलना न सिर्फ प्रतीकात्मक होगा, बल्कि सांस्कृतिक बदलाव की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा.

गरीब रथ’ का नाम बदलने की भी उठी मांग

इस बीच उत्तर रेलवे की जोनल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य दीपक भारद्वाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ‘गरीब रथ’ ट्रेनों का नाम बदलने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इस ट्रेन का नाम ‘सम्मान रथ’ रखा जाए.

गरीब रथ नाम से क्यों है आपत्ति?

दीपक भारद्वाज ने तर्क दिया कि देश के मेहनतकश वर्ग को ‘गरीब’ कहना उनके आत्मसम्मान के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि देश में करीब 26 गरीब रथ ट्रेनें चल रही हैं, जिनका उपयोग किसान, शिक्षक, छात्र, महिलाएं, कर्मचारी, और छोटे व्यापारी करते हैं. ये सभी राष्ट्र निर्माण में योगदान देते हैं और सम्मान के अधिकारी हैं.

‘सम्मान रथ’ नाम का भावार्थ क्या होगा?

दीपक भारद्वाज के अनुसार ‘सम्मान रथ’ नाम से यात्रियों को एक सकारात्मक अनुभव मिलेगा और यह नाम उनके स्वाभिमान को भी बढ़ाएगा. उनके अनुसार, यह बदलाव मानव गरिमा और समाज में समानता को बढ़ावा देगा. साथ ही यह एक नई सोच को दर्शाएगा, जिसमें वर्ग भेद की भावना को खत्म किया जा सकेगा.नाम बदलने की प्रक्रिया और चुनौतियां

  • रेलवे स्टेशन या ट्रेनों के नाम बदलने की प्रक्रिया में कई प्रशासनिक और तकनीकी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं.
  • इसके लिए राज्य सरकार, रेल मंत्रालय, और कई बार गृह मंत्रालय की मंजूरी आवश्यक होती है.
  • स्टेशन के नाम बदलने पर टिकटिंग सिस्टम, नक्शे, साइनबोर्ड, और डिजिटल सिस्टम में बड़े स्तर पर बदलाव करना पड़ता है.

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस तरह के नाम परिवर्तन अक्सर राजनीतिक बहस का हिस्सा बन जाते हैं. जहां कुछ लोग इसे संस्कृति और पहचान से जोड़कर देखते हैं, वहीं कुछ इसे प्रासंगिकता और खर्च की नजर से भी आंकते हैं. हालांकि यदि ये बदलाव समाज के एक बड़े हिस्से की भावनाओं से मेल खाते हैं, तो सरकारें आमतौर पर उन्हें स्वीकृति देने में आगे रहती हैं.

क्या भविष्य में और भी होंगे नाम बदलाव?

इलाहाबाद को प्रयागराज
ऐसे में इस प्रस्ताव को लेकर आगे की प्रक्रिया देखना दिलचस्प होगा.

पिछले कुछ वर्षों में देशभर में कई रेलवे स्टेशनों और जगहों के नाम बदले गए हैं — जैसे

मुंबई के एलफिंस्टन रोड को प्रभादेवी

मुगलसराय को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन

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