Free Private School Admission :महंगे प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त होगा एडमिशन, जाने RTE नियम से क़ैसे मिलेगा एडमिशन 

Saroj kanwar
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Free Private School Admission: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक बच्ची को प्रदेश के सबसे महंगे निजी स्कूल में बिना कोई फीस दिए दाखिला मिला है। यह कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उठाया गया है। इसके बाद से देशभर में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या आम लोग भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में मुफ्त शिक्षा दिला सकते हैं?

बढ़ते प्राइवेट स्कूल, घटती पहुंच

देश में प्राइवेट स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लगभग हर जिले और कस्बे में अब एक से बढ़कर एक महंगे निजी स्कूल खुल चुके हैं। मध्यमवर्गीय और निम्न आयवर्ग के परिवारों के लिए इनमें बच्चों को पढ़ाना एक सपना बन गया है। कुछ अभिभावक किसी तरह दाखिला तो करवा देते हैं, लेकिन महंगी फीस उनके बजट को बिगाड़ देती है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि क्या वाकई इन स्कूलों में फ्री में पढ़ाई संभव है?

RTE अधिनियम

इस सवाल का जवाब है – हां, कुछ शर्तों के साथ। भारत सरकार ने 2009 में “शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education – RTE)” लागू किया था। इसके तहत 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है।

RTE के तहत सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को अपनी 25% सीटें गरीब और वंचित वर्ग (EWS) के बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होती हैं। ये सीटें पहली कक्षा में दाखिले के लिए होती हैं, और इन बच्चों की पढ़ाई आठवीं तक पूरी तरह मुफ्त होती है।


किन्हें मिलेगा इस योजना का फायदा?


EWS (Economically Weaker Section) में आने वाले वे परिवार जो सरकार द्वारा निर्धारित वार्षिक आय सीमा में आते हैं, इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए उन्हें EWS प्रमाणपत्र बनवाना होता है।
अगर किसी अभिभावक के पास यह प्रमाणपत्र है। तो वह किसी भी निजी स्कूल में RTE के तहत अपने बच्चे का फ्री एडमिशन करवा सकता है।


कौन रोक सकता है?


ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक अग्रवाल, जो इस क्षेत्र में वर्षों से कार्यरत हैं, बताते हैं कि यदि कोई अभिभावक सभी शर्तें पूरी करता है। तो प्राइवेट स्कूल उसे एडमिशन देने से मना नहीं कर सकते।

यहां तक कि सरकारी स्कूलों में भेजने का दबाव भी नहीं बनाया जा सकता। यदि किसी स्कूल के पास 25% आरक्षित सीटें खाली हैं, तो उन्हें पात्र बच्चों को दाखिला देना कानूनी रूप से अनिवार्य है। अगर कोई स्कूल इनकार करता है। तो शिकायत की जा सकती है और सरकार उस पर कार्रवाई भी कर सकती है।

दिल्ली मॉडल: 12वीं तक मुफ्त पढ़ाई संभव


अशोक अग्रवाल बताते हैं कि दिल्ली में कई प्राइवेट स्कूल जो सरकारी जमीन पर बने हैं, उन्हें कोर्ट के आदेश के अनुसार 12वीं तक EWS बच्चों को मुफ्त शिक्षा देनी होती है। यह दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया है।
दिल्ली मॉडल यह साबित करता है कि यदि राज्य सरकारें चाहें, तो वे भी अपने राज्यों में RTE को 12वीं तक लागू कर सकती हैं। संविधान में यह अधिकार राज्यों और केंद्र दोनों को दिया गया है कि वे RTE अधिनियम में संशोधन करके इसका दायरा बढ़ा सकते हैं।

फ्री एडमिशन पाने की प्रक्रिया क्या है?


EWS प्रमाणपत्र बनवाएं: पहले अपने जिले के SDM ऑफिस या तहसील से EWS प्रमाणपत्र बनवाएं।
ऑनलाइन आवेदन: कई राज्यों में ऑनलाइन RTE पोर्टल मौजूद है। जहां आप आवेदन कर सकते हैं।
स्कूल चयन: आरटीई पोर्टल पर अपनी पसंद के प्राइवेट स्कूलों को चुनें।
ड्रॉ सिस्टम: यदि सीटों से अधिक आवेदन आते हैं तो लॉटरी सिस्टम के जरिए चयन होता है।
प्रवेश: चयनित होने पर बच्चों को कक्षा 1 में दाखिला दिया जाता है और 8वीं तक की पूरी पढ़ाई मुफ्त होती है।


किन खर्चों को किया जाता है कवर?


RTE के तहत दिए गए दाखिले में बच्चों की ट्यूशन फीस, किताबें, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी, परीक्षा शुल्क जैसी मुख्य चीजें सरकार या संबंधित संस्था कवर करती है। कुछ राज्यों में ट्रांसपोर्ट या अन्य शुल्कों को भी सरकारी सहायता के तहत जोड़ा गया है।

क्या सभी स्कूलों पर लागू होता है RTE?


हां, सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर RTE अधिनियम लागू होता है।
यह नियम उन स्कूलों पर भी लागू होता है जो सरकारी जमीन पर बने हैं या किसी प्रकार की सरकारी सहायता प्राप्त करते हैं।
बोर्ड (CBSE, ICSE, State Board) कोई भी हो, RTE लागू होगा।


अगर स्कूल मना करे तो क्या करें?


यदि कोई स्कूल RTE के तहत दाखिले से इनकार करता है। तो आप इन विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं:
RTI या कानूनी नोटिस के माध्यम से कार्रवाई की जा सकती है।
स्थानीय शिक्षा अधिकारी से शिकायत करें।
राज्य RTE नोडल अधिकारी से संपर्क करें।
ऑनलाइन शिकायत पोर्टल का इस्तेमाल करें।

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