बारिश में ककोड़ा की खेती करके किसान कर सकते है लाखो की कमाई ,यहां जाने इसके बौने और काटने का सही समय

Saroj kanwar
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बारिश के मौसम में किसान कई प्रकार की सब्जियों की खेती करते हैं। इनमें से एक सब्जी है जिसकी बाजार में काफी डिमांड रहती है उसका नाम है ककेड़ा । जिसेकाटवल, परोड़ा, खेख्सी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खेती करके किसान काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं ये सब्जी बारिश के मौसम में काफी फलती और और फूलती है जंगलों में इसे स्वतः उगते हुए देखा जा सकता है। उसके औषधि गुणों के करण सब्जी के भाव में भी बाजार में काफी अच्छे मिलते हैं। भारी डिमांड होने पर सब्जी के भाव150 रुपए प्रति की रुपए प्रति किलोग्राम तक हो जाते हैं।

ककेड़ा की खेती बेहतर कमाई साबित हो सकती है

ऐसे में किसानों के लिए ककेड़ा की खेती बेहतर कमाई साबित हो सकती है। हालाँकि इसकी खेती भारत के कुछ राज्यों में ही की जाती है। ककेड़ा एक बहुवर्षीय कद्दूवर्गीय सब्जी हैऔर यह सब्जी जिसके ऊपर नरम कांटे होते हैं। यह खाने में स्वादिष्ट होती है । इसमें पोषक तत्वों भरपूर मात्रा होती है । ककेड़ा की सब्जी तो बनाकर तो खाई जाती है इसके साथ इसका अचार बनाया जाता है । ककेड़ा के बहुत से फायदे हैं। यह कफ, वात, पित्त नाशक होने के साथ ही मधुमेह रोगी के शर्करा को भी नियंत्रण करने में सहायक होती है। इसकी जड़ का उपयोग बवासीर में रक्त भाव की समस्या के लिए ,पेशाब की शिकायत व बुखार जैसे रोगों में किया जाता है। इस तरह ककेड़ा की खेती किसानों के लिए आय जका एक अच्छा जरिया हो सकती है। ‘

इसकी फसल सब्जी के रूप से दो से तीन महीने बाद एक कटाई के लिए तैयार हो जाती है

ककेड़ा खेती से काफी अच्छी कमाई हो सकती है। इसकी फसल सब्जी के रूप से दो से तीन महीने बाद एक कटाई के लिए तैयार हो जाती है इससे ताजा और छोटे आकर के ककोड़े की फसल प्राप्त हो जाती है जिसे बेचकर किसान काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा इसकी फसल की कटाई 1 साल बाद की जा सकती है और खास बात ये है की इसे एक बार लगाने के बाद इसके मादा पौधे से करीब 8 से 10 सालों तक फल प्राप्त किया जा सकते हैं यानी की इसे बार लगाकर से लगाकर 8 से 10 साल तक कमाई कर सकता है। एकअनुमान के मुताबिक ,ककेड़ा बाजार में आने पर इसकी शुरुआती भाव 90 से ₹100 तक हो सकता है जबकि बाजार डिमांड बढ़ने पर का ककेड़ा का भाव डेढ़ सौ रुपए तक पहुंच जाता है। ऐसे में किसान इसकी खेती करके काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं।

तीसरे साल 8 क्विंटल प्रति एकड़ तक मिल जाती है

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के भोकर तहसील में रहने वाले आनंद बोइनवाड के तीन एकड़ में ककेड़ा की खेती की ओर से काफी अच्छा मुनाफा कमाया गया। 3 एकड़ की खेती से 60 से 70 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसकी बिक्री 15000 प्रति क्विंटल के हिसाब से होती है। इस तरह इसकी तीन एकड़ की खेती से3 से ₹9 लाख तक का मुनाफा कमाया जा सकता है। यदि इसमें से एक लाख इसकी भी लागत निकाल दे तो इसके 8 लाख रुपए तक का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। ककेड़े की खेती के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से इंदिरा इंदिरा ककोड़ा 1 (आरएमएफ-37) नामक किस्म विकसित की गई है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, उड़ीसा ,छत्तीसगढ़ ,झारखंड ,मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में की जा सकती है। यह बेहतरकिस्म में कीटों के प्रति प्रतिरोधी किस्म है। यह किस्म 35 से 40 दिन में तुड़ाई/कटाईके लिए तैयार हो जाती है। यदि इस किस्म के उपज की बात करें कि इसकीोसर पहले सालप्रति एकड़, दूसरे साल 6 क्विंटल प्रति एकड़ और तीसरे साल 8 क्विंटल प्रति एकड़ तक मिल जाती है। इसके अलावा ककेड़ाअम्बिका-12-1, अम्बिका-12-2, अम्बिका-12-3 किस्में भी बेहतर पैदावार देने वाली किस्में हैं। ।

ककोड़ा की खेती अम्लीय भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी से की जा सकती है


ककोड़ा की खेती अम्लीय भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी से की जा सकती है। लेकिनरेतीली जिसे पर्याप्त मात्रा में जैविक और अच्छा जल निकास हो उसकी खेती के लिए सबसे अच्छी रहती है। भूमिका पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। ककोड़ा की बुवाई करने से पहले खेत को अच्छी तरह जुताई कर तैयार करना चाहिए। इसके स्वास्थ्य और अच्छी अनुकरण वाले बीज की 8 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टर जरूरत होती है। यदि कद से रोपण कर रहे हैं तो इसके लिए 10000 के अंदर प्रति हेक्टर के हिसाब से लेना चाहिए। ककोड़ा के बीजों की बुवाई क्यारियां बनाकर या गड्‌ढों में की जा सकती है। बीजों की बुवाई के लिए बेड में 2 सेंटीमीटर की गहराई में 2 से 3 बीज की बुवाई करनी चाहिए। मेड से मेड की दूरी करीब पौधे से पौधे की दूरी करीब 1 मीटर रखनी चाहिए। ककोड़ो की बुवाई करते समय गड्ढे से गड्ढे के बीच की दूरी 1 गुना 1 मीटर रखनी चाहिए। प्रत्येक गड्ढे में 2 से 3 बीज की बुवाई करनी चाहिए जिससे बीज वाले गड्ढे में न पौधा रखना चाहिए ताकि बाकी गड्ढो में मादा पोधो को रखना चाहिए। सिर्फ इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि एक गड्ढे में एक ही पौधा रखा जाए ।

ककोड़ा की खेती में आमतौर पर 200 से 250 क्विंटल पड़ती है

ककोड़ा की खेती में आमतौर पर 200 से 250 क्विंटल पड़ती है अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद को खेत की अंतिम जुताई के समय खेत की मिट्टी में मिला देनी चाहिए । इसके अलावा 65 किलोग्राम यूरिया 375 ग्राम एसएसपी और 67 किलोग्राम एमओपी प्रति हैक्टेय के हिसाब से देनी चाहिए।अब बात करे सिंचाई की तो फसल की बुवाई की तुरंत बाद खेत में हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बारिश का मौसम है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन दो बारिश के समय में अधिकतर अंतर की होने पर सिंचाई करनी चाहिए। खेत में जल निकास के अच्छी व्यवस्था रखें ताकि पानी होने पर इसका खेत में ठहराव नहीं हो पाए ,क्योंकि अधिक पानी की वजह से इसके बीज और कंद सड़ सकते हैं। खेती को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए इसके लिए फसल में दो से तीन बार गुड़ाई करनी चाहिए।ककोड़ा की बेल को सहारा देने के लिए डंडा, तार जैसी वस्तुओं का सहारा देना चाहिए ताकि इसकी बेल ठीक से बढ़ सके।

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