Haryana Railway Project: हरियाणा के मेवात क्षेत्र के लाखों लोगों का रेल यात्रा का सपना अब साकार होने वाला है। केंद्र सरकार ने पचास साल पुरानी मांग को मंजूरी देते हुए 2500 करोड़ रुपये की लागत वाली रेल परियोजना को हरी झंडी दे दी है। यह रेल लाइन दिल्ली से सोहना होते हुए फिरोजपुर झिरका से अलवर तक बनेगी। जिसकी कुल लंबाई 104 किलोमीटर होगी।
सात प्रस्तावित स्टेशन, संख्या बढ़ सकती है
परियोजना के तहत सात प्रमुख स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। हालांकि स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्टेशन की संख्या बढ़ाई जा सकती है। यह रेललाइन न केवल यातायात के साधनों को बढ़ावा देगी। बल्कि मेवात जैसे पिछड़े क्षेत्र में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुंच भी सुनिश्चित करेगी।
1971 में उठी थी मांग
यह रेल लाइन कोई नया प्रस्ताव नहीं है। इसकी मांग सबसे पहले 1971 में गुड़गांव के सांसद चौधरी तैयब हुसैन ने उठाई थी। इसके बाद हर चुनाव में यह मुद्दा उठता रहा, लेकिन व्यवहारिक स्वीकृति अब जाकर मिली है। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए पहले कई बार सर्वे भी कराए थे। लेकिन बजटीय मंजूरी नहीं मिली थी।
कपास
मक्का
दलहन व तिलहन
सब्जियां व बागवानी फसलें
चारा और कृषि वानिकी फसलें
यह कदम राज्य में कृषि पद्धतियों के आधुनिकीकरण और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में एक सशक्त पहल है।
कपास
मक्का
दलहन व तिलहन
सब्जियां व बागवानी फसलें
चारा और कृषि वानिकी फसलें
यह कदम राज्य में कृषि पद्धतियों के आधुनिकीकरण और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में एक सशक्त पहल है।
जिन्होंने पिछले वर्ष धान की खेती की थी और अब वैकल्पिक फसलें उगा रहे हैं।
जिन्होंने पिछले खरीफ सीजन में इस योजना के तहत बदलाव किया और अभी भी वही वैकल्पिक फसलें उगा रहे हैं।
जिन्होंने इस बार अपने धान के खेतों को परती (खाली) छोड़ दिया है।
कौन किसान नहीं बन सकेंगे लाभार्थी?
हालांकि योजना में कुछ निषेध भी तय किए गए हैं। यदि किसी किसान ने पिछले चार वर्षों में किसी भी समय उस खेत में गैर-धान फसल उगाई हो, तो वह इस प्रोत्साहन के लिए पात्र नहीं होगा। यह सुनिश्चित किया गया है कि केवल वास्तविक बदलाव करने वाले किसानों को ही लाभ दिया जाए।
कैसे करना होगा आवेदन?
इच्छुक किसानों को MFMB पोर्टल (मेरी फसल मेरा ब्यौरा) पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। इसके बाद पोर्टल पर दर्ज जानकारी के आधार पर सत्यापन रिपोर्ट तैयार की जाएगी और खरीद सत्र के बाद किसानों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा।
जिलेवार लक्ष्य तय, लेकिन देरी से उठा सवाल
विभाग ने जिलेवार लक्ष्य भी जारी कर दिए हैं, लेकिन धान की रोपाई पहले ही शुरू हो चुकी है, जिससे योजना के क्रियान्वयन को लेकर थोड़ी चिंता बनी हुई है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि वे लक्ष्य को लेकर आशावादी हैं और जल्द ही सभी किसानों तक योजना का लाभ पहुंचाया जाएगा।
सरकार की पहल से क्या होंगे संभावित लाभ?
सरकार की सहायता से किसानों में आत्मनिर्भरता का विकास।
पानी की भारी बचत, क्योंकि धान की अपेक्षा वैकल्पिक फसलें कम पानी लेती हैं।
कृषि विविधीकरण से किसानों की आय में वृद्धि और बाजार के अनुरूप उत्पादन।
भूमि की गुणवत्ता में सुधार और कृषि लागत में कमी।