Electricity Rates Increased: हरियाणा में एक अप्रैल से बिजली की दरों में इजाफा किया गया. इसके साथ ही फिक्स चार्जेज भी 75 प्रतिशत तक बढ़ा दिए गए. इससे छोटे से लेकर बड़े उद्योगों पर हजारों रुपए का अतिरिक्त भार बढ़ गया. अब बिजली के रेट बढ़ाने का फैसला उद्योगपतियों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. उद्योगपतियों ने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.
बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी से औद्योगिक क्षेत्र में चिंता बढ़ी
हरियाणा में 1 अप्रैल से लागू की गई नई बिजली दरों ने उद्योगों की लागत में अचानक उछाल ला दिया है. खासतौर पर फिक्स चार्ज में 75% की वृद्धि ने उद्योगपतियों को सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने पर मजबूर कर दिया है. इस फैसले से प्रदेश के छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों पर प्रति माह हजारों रुपये का अतिरिक्त भार पड़ रहा है.
पुरानी और नई दरों में कितना है अंतर?
1 अप्रैल से पहले, हरियाणा में फिक्स चार्ज 165 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह था. नई दरों के अनुसार, यह 125 रुपये बढ़कर 290 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह हो गया है. इसके अलावा, प्रति यूनिट 20 से 30 पैसे तक का अतिरिक्त बोझ भी उपभोक्ताओं पर डाला गया है. इससे उद्योगों की मासिक बिजली लागत में तेजी से वृद्धि दर्ज की जा रही है.
सरकार के फैसले का उद्योग जगत ने किया विरोध
बहादुरगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा बुलाई गई बैठक में बिजली दरों में हुई बढ़ोतरी के खिलाफ गहरा विरोध देखने को मिला. उद्योगपतियों ने हरियाणा के बिजली मंत्री को एक पत्र भेजकर यह निर्णय वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि एक ओर सरकार Ease of Doing Business की बात करती है. वहीं दूसरी ओर ऐसे फैसलों से उद्योग जगत को संकट में डाल रही है.
उद्योगों का आरोप
उद्योगपतियों का कहना है कि अगर बिजली के फिक्स चार्ज में राहत नहीं दी गई, तो उन्हें मजबूरी में उत्तर प्रदेश, दिल्ली या राजस्थान जैसे राज्यों की ओर रुख करना पड़ सकता है, जहां बिजली दरें हरियाणा से काफी कम हैं. उन्होंने चेताया कि इससे न केवल उद्योगों का पलायन होगा, बल्कि राज्य के रोजगार और राजस्व पर भी गंभीर असर पड़ेगा.
क्या कहता है उद्योग जगत?
उद्योगपतियों ने सवाल उठाया है कि हरियाणा सरकार जब निवेश लाने और औद्योगिक विकास की बात करती है, तो फिर ऐसे निर्णय क्यों लिए जा रहे हैं जो उद्योगों को कमजोर करें? उन्होंने मांग की कि फिक्स चार्ज को पुराने स्तर पर लाया जाए और बिजली दरों में की गई अन्य वृद्धि को भी तत्काल वापस लिया जाए.
सरकार को क्यों करनी चाहिए पुनर्विचार?
बिजली की बढ़ती लागत न केवल उत्पादन महंगा करती है. बल्कि इससे उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता भी प्रभावित होती है. ऐसे में हरियाणा सरकार को चाहिए कि वह उद्योगपतियों की मांगों पर गंभीरता से विचार करे और राज्य के औद्योगिक माहौल को बिगड़ने से बचाए.