क्या पुरुषो की तुलना में महिलाओ में कम होता है ‘सिक्स्थ सेन्स’ यहां जाने क्या कहते है शोधकर्ता

Saroj kanwar
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शरीर की आंतरिक स्थिति के बारे में हमारी समझ को इंटरओसेप्शन कहा जाता है और कभी-कभी से सिक्स्थ सेंस भी कहते हैं। हमारे फाइव सेंस है जिसमें दृष्टि स्पर्श , स्वाद , गंध और श्रवण शामिल है। इसके अलावा एक क्वेश्चन होता है की सिक्स सेंस कहते हैं। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इस बात पर अध्ययन की क्या पुरुष और महिलाएं अन्तः विषय में भिन्न है मिले-जुले परिणाम दिखाते हैं।

नए अध्ययनों में 93 अध्ययनों के डेटा को मिलाया गया

The Conversation के अनुसार ,एक नए अध्ययनों में 93 अध्ययनों के डेटा को मिलाया गया और पाया गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अपने दिल की धड़कन को कम सटीक रूप से महसूस करती है। यह अंतर समझ जाता है कि महिलाओं में कुछ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां अधिक सामान्य क्यों है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को रहते हैं और कुछ हद तक फेफड़ों के संकेत को समझने में कम सटीक पाया गया है। ये अंतर कार्यों के दौरान प्रयास या ब्लड प्रेशर शरीर के वजन जैसे शारीरिक बदलाव जैसे कारको से प्रभावित नहीं है।

इस वजह से होती है महिलाओ में मानसिक परेशानियां

इंटरओसेप्शन पर अध्ययन महिलाओं के कुछ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की उच्च प्रसारण प्रकाश डालते हैं। मौजूदा सिद्धांत इसका श्रेय अनुवांशिकी , हार्मोन ,व्यक्तित्व और तनाव जोखिम जैसी कारकों को देते हैं। हालांकि इंटरओसेप्शन और वेल्बींग यानी कल्याण की बीच संबंध से पता चलता है कि महिलाओं की कम इंटरओसेप्शन सटीकता आंशिक रूप से चिंता और अवसाद की प्रति उनकी उच्च जोखिम को समझा सकती है। अंतरविरोध के साथ कठिनाइयां ,भावनात्मक ,सामाजिक और संज्ञानात्मक कार्यों को प्रभावित कर सकती है जो इन स्थिति के लिए सभी ज्ञात जोखिम कारक है।

अन्तः विषय यानी इंटरओसेप्शन एक कारण हो सकता है

अध्ययन से भी पता चलता है कि अन्तः विषय यानी इंटरओसेप्शन एक कारण हो सकता है जिसके कारण अधिक महिलाये चिंता औरअवसाद पीड़ित होती है इसका तात्पर्य है कि पुरुष और महिलाओं में अंतर विरोध को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों की जरूरत हो सकती है।

शोधकर्ता अभी भी मतभेदों के कारण का पता लग रहे हैं

शोधकर्ता अभी भी मतभेदों के कारण का पता लग रहे हैं कि यह जीव विज्ञान ,हार्मोन या पुरुष और महिलाओं को अपने शरीर के बारे में सोचने के तरीके का कारण हो सकता है। इन कारको को समझने से मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए बेहतर उपचार मिल सकता है।
शोध कर्ताओ का सुझाव है की अंतःविषय को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों की गहरी समझ पाने से भविष्य में कई मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लिए अधिक प्रभावी उपचार के विकास में अहम साबित हो सकता है।

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