सोमवती अमावस्या पर करे ये तीन दान ,तर जायेंगे आपके 7 जन्म

Saroj kanwar
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जब किसी महीने की अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस कहते हैं। इस बा रभाद्रपद्र अमावस्या सोमवती अमावस्या है जो 2 सितंबर को है। सोमवती अमावस्या की तिथि 2 सितंबर को सुबह 5:21 बजे से 3 सितंबर को सुबह 7:24 बजे तक है। सोमवती अमावस्या के दिन गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान करने का विधान है। सोमवती अमावस्या पर तीन प्रकार के दान करते हैं जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिष में बताया गया है कि सोमवती अमावस्या कौन सी तीन दान करने से क्या लाभ मिलते हैं।

सोमवती अमावस्या का महत्व

ज्योतिष के मुताबिक ,सोमवती अमावस्या का दिन सौभाग्य से जुड़ा होता है उसे दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है। शिव और शक्ति के आशीर्वाद से उनका वैवाहिक जीवन को खुशहाल होता है और पति की आयु बढ़ती है। महिलाओं को व्रत रखकर पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। उसे दिन सौभाग्य वती महिलाओं को पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा की गणना मखाने या किशमिश से करनी चाहिए। परिक्रमा के समय पीपल के पेड़ में लाल रंग काधागा या फिर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए।

सोमवती अमावस्या पर करें 3 दान

सोमवती अमावस्या के तीन दान करने की परंपरा है उस दिन देव दान ,पितृ दान और ग्रह दान का विधान है। इसका तात्पर्य है कि आप देव ,पितरों ,ग्रह के लिए दान करे । यहां जाने तीनों दान के लिए कौन सी वस्तुओं का दान करें।

देव दान

सोमवती अमावस्या के दिन आप देवों को तृप्त करने के लिए वस्त्रो का दान कर सकते हैं। देवों को आप लाल ,पीले ,हरे ,नीले आदि रंगों का वस्त्रो का दान करें। वस्त्र सिले हुए होने चाहिए।

ग्रह दान


सोमवती अमावस्या के दिन सोम यानि चंद्र देव से संबंधित है। आपको चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए। उस दिन चांदी ,सफेद वस्त्र ,दही, खीर, मिश्री, अक्षत ,चावल ,मोती आदि का दान कर सकते हैं।

पितृ दान

सोमवती अमावस्या पर आप अपने पितरो को तृप्त करने के लिए दान करते हैं । उसे दिन आपको अन्न का दान करना चाहिए। अन्न का दान पितरों को तृप्त करता है जो आप जो खाना बनाए उनसे कुछ हिस्सा गाय ,कौआ, कुत्ता आदि को खिलाएं। इनके माध्यम से यह उनका प्राप्त होते हैं।

अनु वस्त्र दान से पित्र ,देव और ऋषियों होंगे तृप्त

ज्योतिष के मुताबिक ,यदि आप सोमवती अमावस्या को अन्न और वस्त्र का दान एक साथ करते हैं तो इससे पितृ देव औरऋषि तीनो ही हो तृपित होते हैं। वस्त्र देवों को और अन्न पितरो को और ऋषियों को प्राप्त होते हैं।

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